नई दिल्ली/वाशिंगटन, 7 जुलाई (युआईटीवी)- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित देश-विशिष्ट टैरिफ अब 1 अगस्त से लागू होंगे,जिससे भारत समेत कई देशों को थोड़ी अस्थायी राहत मिली है। पहले ये टैरिफ 9 जुलाई से लागू होने थे,लेकिन अब इस तारीख को टाल दिया गया है। इस बदलाव से यह संकेत मिल रहा है कि अमेरिका फिलहाल अपने व्यापारिक साझेदारों को अंतिम समझौतों तक पहुँचने के लिए एक आखिरी मौका दे रहा है।
राष्ट्रपति ट्रंप की यह नीति अमेरिका के हितों को प्राथमिकता देने की रणनीति का हिस्सा है। अप्रैल में उन्होंने अधिकांश व्यापारिक साझेदारों पर 10% बेस टैरिफ और 50% तक अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा की थी। अब,1 अगस्त से लागू होने वाले इन टैरिफों के जरिए अमेरिका अपने व्यापारिक रिश्तों को फिर से परिभाषित करने की कोशिश कर रहा है।
रविवार को अमेरिका के वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने मीडिया से बातचीत में कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप अभी दरें और सौदे तय कर रहे हैं। इसका सीधा मतलब यह है कि अमेरिका देशों को यह विकल्प दे रहा है कि वे अंतिम समझौते करें,वरना उन्हें ऊँचे टैरिफ का सामना करना पड़ेगा।
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि वे 9 जुलाई तक अधिकांश देशों के साथ या तो पत्राचार या फिर औपचारिक समझौतों के जरिए वार्ता प्रक्रिया को पूरा करने की उम्मीद कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अधिसूचना पत्र सोमवार (अमेरिकी समय) से ही जारी होने लगेंगे,जिससे यह स्पष्ट हो जाएगा कि कौन-कौन से देश इन टैरिफों की चपेट में आ सकते हैं।
उनका कहना था कि “बैठकर 15 अलग-अलग चीज़ों पर चर्चा करने से बेहतर है कि सीधे नोटिस भेजा जाए। अगर आप अमेरिका के साथ व्यापार करना चाहते हैं,तो आपको हमारे तय टैरिफ ही स्वीकार करने होंगे।”
भारत की तरफ से मुख्य वार्ताकार राजेश अग्रवाल के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल अमेरिका गया था। यह दल कृषि और डेयरी उत्पादों के व्यापार से जुड़े विवादित मुद्दों पर अंतिम समझौते तक नहीं पहुँच सका और बिना ठोस समाधान के वाशिंगटन से लौट आया। अमेरिका इस क्षेत्र में अपने उत्पादों के लिए अधिक पहुँच चाहता है,जबकि भारत की चिंता अपने घरेलू किसानों और डेयरी उद्योग की सुरक्षा को लेकर है।
अब तक अमेरिका यूनाइटेड किंगडम और वियतनाम के साथ व्यापार समझौतों की घोषणा कर चुका है। इसके अलावा कुछ अन्य सौदे भी पाइपलाइन में हैं,जिससे यह संकेत मिलता है कि अमेरिका द्विपक्षीय सौदों के जरिए बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था को किनारे रख रहा है।
अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने भी इस बात की पुष्टि की है। उन्होंने सीएनएन को बताया कि ट्रंप कुछ देशों को पत्र भेजकर सूचित करेंगे कि अगर वे वार्ता में प्रगति नहीं करते,तो 1 अगस्त से टैरिफ पुनः अप्रैल 2 के स्तर तक बढ़ा दिए जाएँगे। उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही कई सौदे सामने आ सकते हैं।
इस पूरी प्रक्रिया में एक और बड़ी घोषणा सामने आई है। ट्रंप ने कहा है कि उन देशों पर अतिरिक्त 10 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाएगा,जो ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) की अमेरिकी विरोधी नीतियों के साथ खुद को जोड़ते हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि ट्रंप की टैरिफ नीति केवल आर्थिक नहीं,बल्कि राजनीतिक संकेत भी दे रही है।
डोनाल्ड ट्रंप की यह टैरिफ नीति सिर्फ व्यापारिक दबाव नहीं है,बल्कि एक रणनीतिक संदेश भी है कि अमेरिका अब “पहले अमेरिका” की नीति को लेकर और अधिक आक्रामक रुख अपनाएगा। भारत समेत कई देशों के सामने यह चुनौती है कि वे अमेरिका की शर्तों को किस हद तक स्वीकार करते हैं या वैकल्पिक साझेदार तलाशते हैं। आने वाले हफ्ते इस बात के गवाह होंगे कि क्या देश अमेरिका के साथ नए व्यापारिक संतुलन पर सहमत होते हैं या व्यापार युद्ध की ओर बढ़ते हैं।