डोनाल्ड ट्रंप

डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को डॉलर का विकल्प तलाशने पर 100 फीसदी टैरिफ लगाने की दी धमकी

न्यूयॉर्क,2 दिसंबर (युआईटीवी)- अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को कड़ी चेतावनी दी है कि वे नई मुद्रा विकसित करने या अमेरिकी डॉलर की जगह किसी अन्य करेंसी को अपनाने की कोशिश न करें। ट्रंप ने धमकी दी कि यदि ब्रिक्स देशों ने ऐसा कोई कदम उठाया तो उन पर 100 फीसदी टैरिफ लगाया जाएगा और उन्हें अमेरिकी बाजारों से प्रभावी रूप से प्रतिबंधित किया जाएगा। ट्रंप की यह चेतावनी ब्रिक्स देशों,जिनमें चीन और भारत जैसे प्रमुख देश शामिल हैं,के लिए एक गंभीर संदेश है।

ट्रंप ने इस बारे में शनिवार को ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट किया,जिसमें उन्होंने कहा, “ब्रिक्स देशों के लिए अमेरिकी डॉलर की जगह किसी अन्य मुद्रा को अपनाने की कोई संभावना नहीं है और जो भी देश ऐसा करने की कोशिश करेगा,उसे अमेरिका से अलविदा कह देना चाहिए।” इसके साथ ही उन्होंने ब्रिक्स देशों से यह भी कहा कि उन्हें यह स्पष्ट रूप से सुनिश्चित करना चाहिए कि वे न तो कोई नई ब्रिक्स मुद्रा विकसित करेंगे,न ही अमेरिकी डॉलर के स्थान पर किसी अन्य मुद्रा को अपनाएँगे, अन्यथा उन्हें अमेरिकी बाजारों से बाहर किया जाएगा और उन पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाएगा।

ब्रिक्स समूह में दुनिया की दो सबसे बड़ी उभरती शक्तियाँ- चीन और भारत शामिल हैं। हालाँकि,भारत ने पहले ही इस विचार को खारिज कर दिया था कि ब्रिक्स देशों की एक साझा मुद्रा बनाई जाएगी। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पिछले साल जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स देशों के शिखर सम्मेलन से पहले इस पर स्पष्ट रूप से बयान दिया था कि ब्रिक्स देशों की मुद्रा बनाने का कोई विचार नहीं है। भारत, जो ब्रिक्स की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है,इस मुद्दे पर दृढ़ है।

हालाँकि,ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा ने इस मुद्दे को पूरी तरह से नकारते हुए भी एक आम मुद्रा का प्रस्ताव रखा था,लेकिन इस पर कोई वास्तविक प्रगति नहीं हुई। ट्रंप ने अपने पोस्ट में यह भी दावा किया कि डॉलर के रूप में दुनिया की प्रमुख व्यापारिक मुद्रा के रूप में खतरा बढ़ रहा है और राष्ट्रपति जो बाइडेन इस खतरे को अनदेखा कर रहे हैं। ट्रंप ने कहा, “यह सोच कि ब्रिक्स देश डॉलर से दूर जाने की कोशिश कर रहे हैं और हम खड़े होकर देखते रहें, यह अब खत्म हो चुका है।”

ब्रिक्स देशों को दी गई यह चेतावनी ट्रंप का एक प्रकार का टेस्टिंग है,जिसमें यह देखा जाएगा कि कौन सा देश इस पर प्रतिक्रिया देता है और क्या कोई देश भारत के जैसा रुख अपनाएगा। विशेष रूप से,यह चेतावनी बीजिंग के लिए एक पूर्व चेतावनी के रूप में देखी जा सकती है,जो किसी भी नई मुद्रा के विकास में आगे बढ़ने से पहले अमेरिका की ओर से उत्पन्न होने वाली समस्याओं से बचने का प्रयास कर सकता है।

ब्रिक्स,जो ब्राजील,रूस,भारत,चीन और दक्षिण अफ्रीका के नामों से मिलकर बना है, अब विस्तार पा चुका है और इसमें ईरान, मिस्र, इथियोपिया और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को भी शामिल किया गया है। इसके अलावा,कई अन्य देशों ने भी ब्रिक्स में शामिल होने के लिए आवेदन किया है। ट्रंप का मानना है कि इस विस्तार के साथ ब्रिक्स देशों का वैश्विक आर्थिक प्रभाव बढ़ सकता है,लेकिन अगर ये देश अमेरिकी डॉलर से हटने की कोशिश करते हैं,तो इसका परिणाम गंभीर हो सकता है।

ब्रिक्स देशों की मुद्रा के विचार पर अमेरिकी प्रतिक्रिया से यह भी स्पष्ट होता है कि ट्रंप की सरकार ने वैश्विक वित्तीय व्यवस्था में अमेरिका के प्रभुत्व को बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास करने का संकल्प लिया है। उनका मानना है कि डॉलर की शक्ति को चुनौती देने से अमेरिका की अर्थव्यवस्था को नुकसान हो सकता है और इससे विश्व बाजार में अस्थिरता पैदा हो सकती है।

ट्रंप की यह चेतावनी वैश्विक आर्थिक स्थिरता और अमेरिकी वित्तीय नीतियों के लिए एक बड़ा परीक्षण साबित हो सकती है। यदि ब्रिक्स देशों ने अमेरिकी डॉलर के स्थान पर कोई अन्य मुद्रा अपनाने का कदम उठाया,तो यह वैश्विक अर्थव्यवस्था में बड़े बदलावों का कारण बन सकता है और अमेरिका इसके खिलाफ अपनी पूरी ताकत लगा सकता है।