डीआरडीओ 2-डीजी

मैनकाइंड फार्मा को कोविड रोधी दवा 2-डीजी बनाने के लिए डीआरडीओ की मंजूरी

नई दिल्ली, 9 जुलाई (युआईटीवी/आईएएनएस)- रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने मैनकाइंड फार्मा को कोविड-19 के इलाज के लिए खाने वाली दवा 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) के निर्माण और विपणन का लाइसेंस दिया है। दवा कंपनी ने गुरुवार को यह जानकारी दी। मैनकाइंड फार्मा आंध्र प्रदेश के विजाग और हिमाचल प्रदेश में स्थित अपनी विनिर्माण सुविधाओं में प्रौद्योगिकी की मदद लेगा और उत्पाद का निर्माण करेगा।

2-डीजी को महामारी के खिलाफ लड़ाई में गेम-चेंजर के रूप में देखा गया है, क्योंकि यह अस्पताल में भर्ती मरीजों की तेजी से वसूली में मदद करता है और कोविड-19 रोगियों में ऑक्सीजन पर निर्भरता को कम करता है।

मई में, ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीजीसीआई) ने 2-डीजी को इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंसेज (इनमास) द्वारा विकसित किया था। यह दवा मध्यम से गंभीर कोविड-19 रोगियों को आपातकालीन उपयोग के लिए दी जाएगी।

मैनकाइंड फार्मा ने एक बयान में कहा, “इस समझौते के पीछे हमारा उद्देश्य घातक महामारी से पीड़ित योग्य भारतीय रोगियों तक इस दवा की अधिकतम पहुंच सुनिश्चित करना है। यह अत्यधिक महत्वपूर्ण है कि भारतीय रोगियों को ऐसी दवाएं आसानी से मिलें और देश में ऐसी जीवन रक्षक दवाओं की कोई कमी न हो।”

कंपनी ने कहा, इसी कारण से हमने विनिर्माण सुविधाओं को बढ़ाने और पूरे भारत में व्यापक रूप से दवा वितरित करने के लिए डीआरडीओ के साथ साझेदारी की है।

एक सामान्य अणु और ग्लूकोज का एनालॉग होने के कारण, इसे आसानी से उत्पादित किया जा सकता है और देश में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध कराया जा सकता है।

दवा एक पाउच में पाउडर के रूप में आती है, जिसे पानी में घोलकर मौखिक रूप से लिया जाता है।

यह वायरस संक्रमित कोशिकाओं में जमा हो जाता है और वायरल संश्लेषण और ऊर्जा उत्पादन को रोककर वायरस के विकास को रोकता है। वायरल से संक्रमित कोशिकाओं में इसका चयनात्मक संचय इस दवा को अद्वितीय बनाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *