दुबई के क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (तस्वीर क्रेडिट@HamdanMohammed)

भारत और यूएई ने द्विपक्षीय आर्थिक साझेदारी को मजबूत करने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए

नई दिल्ली,9 अप्रैल (युआईटीवी)- भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने अपनी द्विपक्षीय आर्थिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौते दुबई के क्राउन प्रिंस और यूएई के रक्षा मंत्री,शेख हमदान बिन मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम की भारत यात्रा के दौरान किए गए। इन समझौतों से भारत और यूएई के बीच आर्थिक,शैक्षिक और व्यापारिक रिश्तों को नए आयाम मिलने की उम्मीद है।

भारत और यूएई के बीच जो समझौते किए गए हैं,उन समझौतों में एक महत्वपूर्ण कदम भारतीय प्रबंधन संस्थान,अहमदाबाद (आईआईएम-ए) के कैंपस को दुबई में स्थापित करने का है। सितंबर 2025 में इस कैंपस में पहला एमबीए प्रोग्राम की शुरुआत की जाएगी। इसके साथ ही भारतीय विदेश व्यापार संस्थान (आईआईएफटी) का पहला विदेशी कैंपस भी दुबई के एक्सपो सिटी में स्थापित किया जाएगा। यह कदम भारत और यूएई के बीच शैक्षिक सहयोग को और प्रगाढ़ करेगा और दुबई को एक प्रमुख वैश्विक शैक्षिक केंद्र के रूप में उभारने में मदद करेगा। इससे न केवल यूएई,बल्कि पूरे खाड़ी क्षेत्र में भारतीय शिक्षा प्रणाली के महत्व को भी बढ़ावा मिलेगा।

इन समझौतों के तहत भारत-यूएई मित्रता अस्पताल की स्थापना के लिए दुबई में भूमि आवंटित करने की घोषणा की गई है। यह अस्पताल यूएई में बसे भारतीय समुदाय के नीले-कॉलर श्रमिकों को सस्ती स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करेगा। यूएई के कई शाही परिवारों के सदस्य पहले ही भारत के स्वास्थ्य और कल्याण प्रणाली से लाभान्वित हो चुके हैं और अब यह कदम उनके योगदान के प्रतिकार के रूप में लिया जा रहा है। इस अस्पताल के माध्यम से भारतीय श्रमिकों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएँ मिलेंगी,जिससे उनका जीवन स्तर बेहतर हो सकेगा।

भारत और यूएई के बीच व्यापारिक संबंधों को और मजबूती देने के लिए कई अन्य पहलें की गई हैं। भारत मार्ट और वर्चुअल ट्रेड कॉरिडोर (वीटीसी) की घोषणा की गई है,जो द्विपक्षीय व्यापार को और बढ़ावा देंगे। सीईपीए (कंप्रिहेन्सिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट) लागू होने के बाद से दोनों देशों के बीच व्यापार कई गुना बढ़ चुका है। इन पहलुओं के माध्यम से उम्मीद की जा रही है कि द्विपक्षीय व्यापार 97 बिलियन डॉलर के पार जाएगा और गैर-तेल व्यापार का लक्ष्य 100 बिलियन डॉलर तक पहुँच सकता है। इससे न केवल भारत और यूएई के बीच व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा मिलेगा,बल्कि दोनों देशों के आर्थिक विकास में भी मदद मिलेगी।

इसके अलावा,कोच्चि और वाडिनार में शिप रिपेयर क्लस्टर्स के विकास की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड और ड्राइडॉक वर्ल्ड (डिपी वर्ल्ड कंपनी) के बीच शिप रिपेयर क्लस्टर्स के विकास के लिए एक समझौता किया गया है,जो भारतीय शिप रिपेयर इकोसिस्टम में वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को लागू करेगा। इस पहल से भारतीय शिप रिपेयर क्षेत्र को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद मिलेगी।

दुबई चेम्बर ऑफ कॉमर्स में भारत और यूएई के व्यापारिक संबंधों को और मजबूत बनाने के लिए भारतीय कार्यालय की स्थापना भी की गई है। यह कार्यालय व्यापारिक साझेदारी को और प्रगाढ़ करेगा और दोनों देशों के व्यापारिक क्षेत्रों को एक दूसरे से जोड़ने का काम करेगा। भारतीय कंपनियाँ पहले ही दुबई के पर्यटन,हॉस्पिटैलिटी, हेल्थकेयर,रिटेल,शिक्षा और मनोरंजन क्षेत्रों में निवेश कर रही हैं। दुबई चेम्बर ऑफ कॉमर्स में हर साल भारतीय कंपनियाँ पंजीकरण कराती हैं,जो दुबई की कंपनियों में 30-40 प्रतिशत का योगदान देती हैं। इस नए कार्यालय से भारतीय कंपनियों को दुबई में अपने व्यवसाय का विस्तार करने में और अधिक सुविधा होगी।

भारत और यूएई के बीच इस द्विपक्षीय सहयोग का लाभ यूएई में बसे 4.3 मिलियन भारतीय समुदाय और खाड़ी क्षेत्र के करीब 9 मिलियन भारतीयों को भी होगा। इन समझौतों के माध्यम से,यूएई में भारतीयों के लिए नए अवसरों का सृजन होगा और उनकी जीवनशैली में सुधार होगा। साथ ही,ये पहलें भारत-यूएई के सांस्कृतिक और सामाजिक संबंधों को भी मजबूत करेंगी।

क्राउन प्रिंस शेख हमदान बिन मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम की भारत यात्रा के दौरान भारत में वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल से हुई मुलाकात में,दोनों देशों के बीच सीईपीए के तहत द्विपक्षीय व्यापार के तेजी से बढ़ने पर चर्चा की गई। गोयल ने यह उम्मीद जताई कि इन समझौतों से भारत और यूएई के बीच आर्थिक संबंधों को और मजबूती मिलेगी और ये संबंध नई ऊँचाइयों तक पहुँचेंगे।

भारत और यूएई के बीच किए गए इन समझौतों से दोनों देशों के बीच सहयोग के नए द्वार खुलेंगे। ये पहलें न केवल आर्थिक और व्यापारिक क्षेत्र में सुधार लाएँगी,बल्कि शिक्षा,स्वास्थ्य और शिप रिपेयर जैसे क्षेत्रों में भी दोनों देशों के बीच संबंधों को नई दिशा देंगे। इन पहलों से न केवल भारतीय समुदाय को लाभ होगा,बल्कि यूएई की अर्थव्यवस्था और सामाजिक ढाँचे को भी मजबूती मिलेगी। भारत और यूएई का यह साझेदारी दोनों देशों के लिए लाभकारी साबित होगी और वैश्विक स्तर पर उनकी स्थिति को और मजबूत करेगी।