नई दिल्ली,13 फरवरी (युआईटीवी)- जनवरी में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति दर जारी आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार घटकर 5.1 प्रतिशत हो गई है,जो दिसंबर 2023 में 5.69 प्रतिशत थी। खुदरा मुद्रास्फीति दर के घटने से घरेलू बजट में कुछ राहत मिली है। खाद्य मुद्रास्फीति दिसंबर में 9.05 प्रतिशत थी,जो जनवरी में घटकर 8.3 प्रतिशत हो गई है। इससे खाद्य मुद्रास्फीति कुल उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) का करीब आधा हिस्सा है।
हालाँकि,दालों, मसालों और सब्जियों के कीमतों में महीने के दौरान दोहरे अंकों में वृद्धि दर्ज की गई है। लेकिन खाना पकाने के लिए तेल की कीमतों में गिरावट जारी है,जो एक राहत की बात है।
जारी आँकड़ों से मालूम चलता है कि 27.03 प्रतिशत तक सब्जियों की कीमतों में वृद्धि हुई है,जो दिसंबर के दौरान 31.34 प्रतिशत से कम थी। दालों और मसालों के कीमत में भी कोई राहत नहीं मिली है। जहाँ दाल 19.54 प्रतिशत महंगी हो गईं,तो वहीं मसालों के कीमतों में 16.36 प्रतिशत की उछाल आई। जनवरी में अनाज की कीमतें 7.83 फीसदी बढ़ीं,जो दिसंबर में 9.53 फीसदी थीं।
आरबीआई के 2-6 प्रतिशत टारगेट के बीच से थोड़ा ऊपर उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति है। इसी कारण भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई ) ब्याज दरों में कटौती नहीं कर रहा है,ताकि आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया जा सके।
मुद्रास्फीति को आरबीआई नियंत्रण में रखना चाहता है। इसलिए द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षाओं में आरबीआई ने रेपो दर में कोई बदलाव न करते हुए,उसे 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है और यह लगातार छठी बार है,जब रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।