कोलकाता,1 जुलाई (युआईटीवी)- कोलकाता स्थित एक लॉ कॉलेज की छात्रा के साथ हुए गैंगरेप की घटना ने पूरे पश्चिम बंगाल में गंभीर आक्रोश और सियासी बवाल को जन्म दे दिया है। यह घटना सिर्फ एक अपराध नहीं,बल्कि राज्य की कानून व्यवस्था,युवाओं की सुरक्षा और राजनीतिक दलों की संवेदनशीलता पर एक बड़ा सवाल बनकर उभरी है।
कोलकाता के कसबा क्षेत्र में स्थित एक लॉ कॉलेज की छात्रा ने अपने ही कॉलेज के तीन छात्रों पर गैंगरेप का आरोप लगाया है। यह घटना कॉलेज परिसर के भीतर हुई बताई जा रही है। पीड़िता के अनुसार,तीनों आरोपियों ने उसे निशाना बनाया और इस जघन्य अपराध को अंजाम दिया।
इस मामले में कोलकाता पुलिस ने तीन छात्रों मोनोजीत मिश्रा,जैब अहमद और प्रमित को गिरफ्तार किया है। इसके अलावा कॉलेज में तैनात एक सिक्योरिटी गार्ड को भी हिरासत में लिया गया है,जिस पर अपराध में सहयोग का संदेह है। आरोपियों की पुलिस रिमांड 1 जुलाई तक तय की गई थी और अब जाँच एजेंसियाँ आगे की कानूनी प्रक्रिया की तैयारी में हैं।
गैंगरेप जैसी संवेदनशील घटना में पीड़िता की पहचान को गोपनीय रखना कानूनी और नैतिक दोनों ही दृष्टिकोण से अनिवार्य होता है। कोलकाता पुलिस ने इस मामले में सोशल मीडिया पर बढ़ती अफवाहों और लीक हो रही जानकारी को लेकर सख्त रुख अपनाया है।
कोलकाता पुलिस ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर चेतावनी देते हुए कहा कि,”हमें संज्ञान में आया है कि कुछ लोग पीड़िता की पहचान उजागर करने की कोशिश कर रहे हैं, चाहे वह दस्तावेजों के प्रसार से हो या अन्य किसी माध्यम से। यह कानून का गंभीर उल्लंघन है और ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”
पुलिस ने जनता से अपील की है कि वे ऐसी कोई जानकारी न फैलाएँ जिससे पीड़िता की निजता और गरिमा प्रभावित हो। यह न सिर्फ कानूनी अपराध है बल्कि मानवता के मूल्यों के भी खिलाफ है।
इस घटना के बाद राजनीतिक दलों के बीच बयानबाज़ी शुरू हो गई है। चूँकि मुख्य आरोपी में से एक छात्र का संबंध टीएमसी की छात्र इकाई से बताया जा रहा है,इस वजह से सत्तारूढ़ पार्टी पर विपक्ष लगातार हमलावर है।
भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को निशाने पर लेते हुए कहा कि, “जब कांग्रेस शासित राज्यों में कोई घटना होती है,तब प्रियंका गांधी ‘लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ’ का नारा देती हैं,लेकिन कोलकाता जैसे मामले में उनकी चुप्पी दर्शाती है कि यह नारा सिर्फ दिखावा था।”
भाजपा ने यह भी आरोप लगाया कि विपक्षी नेताओं की चुनिंदा संवेदनशीलता केवल राजनीतिक लाभ के लिए होती है और वे राज्य के भीतर वास्तविक पीड़ितों की आवाज़ नहीं बनते।
घटना के सामने आने के बाद कोलकाता में जनता का गुस्सा सड़कों पर उतर आया है। कई छात्र संगठनों और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने लॉ कॉलेज और पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किए। वे आरोपियों के लिए त्वरित और सख्त सज़ा की माँग कर रहे हैं।
सिविल सोसाइटी और महिला संगठनों का कहना है कि यह घटना न सिर्फ एक छात्रा के साथ अन्याय है,बल्कि यह समाज में युवतियों की सुरक्षा पर एक गंभीर खतरा है। सोशल मीडिया पर भी हैशटैग्स जैसे #JusticeForKolkataStudent और #StopCampusCrimes ट्रेंड कर रहे हैं।
फिलहाल, आरोपियों की पुलिस हिरासत पूरी हो रही है और आगे की पूछताछ के लिए उन्हें अदालत में पेश किया जाएगा। पुलिस घटना के सीसीटीवी फुटेज,डिजिटल साक्ष्यों और मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर मजबूत केस तैयार कर रही है।
राज्य सरकार ने अभी तक इस मामले पर कोई स्पष्ट आधिकारिक बयान नहीं दिया है,लेकिन मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से संकेत मिले हैं कि जाँच पूरी तरह निष्पक्ष और तेज़ी से की जाएगी।
कोलकाता का यह गैंगरेप मामला एक बार फिर यह सवाल उठाता है कि क्या हमारे शैक्षणिक संस्थान वास्तव में सुरक्षित हैं? साथ ही, यह भी सोचने का विषय है कि संवेदनशील मुद्दों पर राजनीतिक दलों का रवैया कितना जिम्मेदार है।
जहाँ एक ओर पुलिस और प्रशासन पर सख्ती और निष्पक्षता की उम्मीद है,वहीं समाज को भी चाहिए कि वह पीड़िता की निजता का सम्मान करते हुए न्याय की माँग में एकजुट हो। अब देखना यह है कि यह मामला सिर्फ एक और घटना बनकर फाइलों में दब जाएगा या वास्तव में दोषियों को सज़ा और पीड़िता को न्याय मिलेगा।