वाशिंगटन,8 जुलाई (युआईटीवी)- इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सोमवार रात वाशिंगटन डीसी स्थित व्हाइट हाउस में एक महत्वपूर्ण मुलाकात के दौरान अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित करने की घोषणा कर दी। यह घोषणा न सिर्फ अप्रत्याशित थी,बल्कि खुद ट्रंप भी इस पर हैरान रह गए और मुस्कुराते हुए बोले “मुझे तो मालूम ही नहीं था!”
इस मुलाकात के समय गाजा पट्टी में युद्धविराम (सीजफायर) को लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कूटनीतिक दबाव बढ़ता जा रहा है। ऐसे में नेतन्याहू और ट्रंप की यह भेंट केवल निजी रात्रिभोज तक सीमित नहीं रही,बल्कि इसके पीछे कई बड़े रणनीतिक संकेत भी देखे जा रहे हैं।
पत्रकारों के समक्ष बोलते हुए नेतन्याहू ने ट्रंप के वैश्विक शांति प्रयासों की खुलकर सराहना की। उन्होंने कहा,“मैं न सिर्फ इजरायलियों की तरफ से,बल्कि यहूदी समुदाय और दुनियाभर के लाखों लोगों की ओर से राष्ट्रपति ट्रंप के नेतृत्व की सराहना करता हूँ। आपने फ्री वर्ल्ड का नेतृत्व किया और न्याय,शांति और सुरक्षा के लिए ऐतिहासिक कदम उठाए हैं।”
उन्होंने ट्रंप के कार्यकाल में संपन्न अब्राहम समझौते का विशेष रूप से जिक्र किया, जिसके तहत इज़राइल ने कई अरब देशों के साथ संबंध सामान्य किए। नेतन्याहू ने कहा कि ये पहले ट्रंप को “नोबेल शांति पुरस्कार” के लिए एक उपयुक्त उम्मीदवार बनाती हैं। उन्होंने मंच से ही एक पत्र सौंपा,जिसे उन्होंने नोबेल समिति को भेजा था, जिसमें ट्रंप के नाम का औपचारिक नामांकन किया गया है।
इस पूरी घोषणा के दौरान डोनाल्ड ट्रंप थोड़े हैरान नजर आए,लेकिन चेहरे पर मुस्कान थी। उन्होंने नेतन्याहू को धन्यवाद देते हुए कहा, “वाह! आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। मुझे यह नहीं पता था। यह मेरे लिए बहुत सम्मान की बात है।”
यह पूरा घटनाक्रम एक निजी रात्रिभोज के दौरान हुआ,जिसमें कोई सार्वजनिक लाइव कवरेज या प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं रखी गई थी। हालाँकि,इसकी खबर बाहर आते ही अमेरिकी और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में हलचल मच गई।
यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है,जब गाजा में इज़राइल और हमास के बीच जारी संघर्ष के चलते युद्धविराम की माँग को लेकर अमेरिका और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ इज़राइल पर दबाव बना रही हैं।
इस संदर्भ में ट्रंप ने मीडिया को बताया कि उन्हें गाजा में जल्द ही युद्धविराम की उम्मीद है। उन्होंने इस क्षेत्र में शांति की संभावनाओं को लेकर आशावाद जताया और बताया कि उनके मध्य पूर्व सलाहकार स्टीव विटकॉफ इस सप्ताह दोहा की यात्रा पर जा रहे हैं,ताकि संघर्ष को समाप्त करने के लिए कूटनीतिक प्रयास किए जा सकें।
इसी दिन नेतन्याहू ने ट्रंप के विदेश नीति सलाहकार मार्को रुबियो और स्टीव विटकॉफ से भी मुलाकात की। माना जा रहा है कि इन बैठकों में गाजा संघर्ष,ईरान की भूमिका और अमेरिका-इज़राइल संबंधों की दिशा पर विस्तार से चर्चा हुई।
बेंजामिन नेतन्याहू इस सप्ताह गुरुवार तक वाशिंगटन में रहेंगे। उनके कार्यक्रम में अमेरिकी कांग्रेस के कई प्रभावशाली सांसदों से मुलाकातें शामिल हैं। इससे यह स्पष्ट है कि यह दौरा केवल ट्रंप से मुलाकात तक सीमित नहीं है,बल्कि इसका मकसद अमेरिकी राजनीतिक और रणनीतिक हलकों में इज़राइल के पक्ष को मज़बूती से रखना है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस दौरे के माध्यम से नेतन्याहू अमेरिकी संसद और प्रशासन को यह संदेश देना चाहते हैं कि इज़राइल की रणनीति सिर्फ सैन्य नहीं बल्कि कूटनीतिक स्तर पर भी सक्रिय है। वहीं,ट्रंप के साथ उनकी घनिष्ठता को दोबारा सार्वजनिक मंच पर दर्शाकर नेतन्याहू 2024 अमेरिकी चुनावों के संभावित परिदृश्य को भी ध्यान में रख रहे हैं।
डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित करने की नेतन्याहू की पहल केवल सम्मानजनक संकेत भर नहीं है,बल्कि इसके पीछे एक गहरी कूटनीतिक और राजनीतिक रणनीति भी दिखाई देती है। यह नामांकन अब्राहम समझौते जैसे ऐतिहासिक घटनाक्रमों पर आधारित है,लेकिन गाजा में जारी संघर्ष के बीच इसकी टाइमिंग भी बेहद अहम है।
इससे यह भी स्पष्ट होता है कि नेतन्याहू ट्रंप के साथ अपने संबंधों को पुनर्जीवित कर रहे हैं और साथ ही अमेरिका में ट्रंप की संभावित राजनीतिक वापसी को ध्यान में रखते हुए इज़राइल के भविष्य के हितों को सुरक्षित करने की कोशिश कर रहे हैं।
अब देखना यह होगा कि क्या यह नामांकन वैश्विक शांति पुरस्कार समिति तक अपनी असरदार पहुँच बना पाता है और क्या गाजा संघर्ष में कोई ठोस सीजफायर पहल इस कूटनीतिक मेल-मिलाप से निकलती है।