नई दिल्ली,22 नवंबर (युआईटीवी)- इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) निर्माता ओला इलेक्ट्रिक अपनी पुनर्गठन प्रक्रिया के तहत कम से कम 500 कर्मचारियों की छंटनी करने की योजना बना रही है। कंपनी का कहना है कि यह कदम परिचालन दक्षता को बढ़ाने, अतिरेक को कम करने तथा लाभप्रदता को सुधारने के उद्देश्य से उठाया जा रहा है।
भाविश अग्रवाल के नेतृत्व वाली इस कंपनी ने पुनर्गठन प्रक्रिया की शुरुआत की है, जो कई विभागों के कर्मचारियों को प्रभावित करेगी। विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार, ओला इलेक्ट्रिक का यह कदम कंपनी के बढ़ते घाटे को कम करने और खर्चों में कटौती करने के लिए किया जा रहा है। हालाँकि,इस प्रक्रिया को पूरा करने की कोई निर्धारित समय सीमा तय नहीं की गई है।
सूत्रों का हवाला देते हुए Inc42 की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि छंटनी का उद्देश्य “लाभप्रदता बढ़ाने और मार्जिन सुधारने” के लिए खर्च कम करना है। अभ्यास को पूरा करने के लिए कोई निर्धारित समय अवधि नहीं है।
ओला इलेक्ट्रिक ने इस छंटनी पर अभी तक कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है।
ओला इलेक्ट्रिक ने हाल ही में समाप्त हुई जुलाई-सितंबर तिमाही (Q2 FY25) में 495 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया है,जो पिछली तिमाही (Q1 FY25) के 347 करोड़ रुपये के घाटे से 43 प्रतिशत अधिक है।
वहीं, कंपनी के राजस्व में भी गिरावट दर्ज की गई। इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही के 1,644 करोड़ रुपये की तुलना में दूसरी तिमाही में राजस्व घटकर 1,214 करोड़ रुपये रह गया। यह तिमाही-दर-तिमाही 26.1 प्रतिशत की गिरावट को दर्शाता है। हालाँकि,साल-दर-साल आधार पर कंपनी के घाटे में कमी आई है।
भाविश अग्रवाल ने तिमाही आय कॉल में कहा कि कंपनी परिचालन खर्चों में कमी लाने पर काम कर रही है। उन्होंने कहा, “जैसा कि हम अपने उत्पादों की डिलीवरी बढ़ाना जारी रखते हैं,राजस्व में वृद्धि होगी,जबकि परिचालन खर्च अगले कुछ तिमाहियों में स्थिर या घटने की संभावना है।”
कंपनी की बाजार हिस्सेदारी भी दूसरी तिमाही में गिरकर 33 प्रतिशत रह गई,जो पहली तिमाही में 49 प्रतिशत थी।
ओला इलेक्ट्रिक,जो भारत में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर सेगमेंट में अग्रणी कंपनियों में से एक है,इस समय गंभीर वित्तीय दबाव का सामना कर रही है। बढ़ते घाटे,घटते राजस्व और बाजार हिस्सेदारी में गिरावट के चलते कंपनी अपने खर्चों में कटौती कर लाभप्रदता बढ़ाने का प्रयास कर रही है। हालाँकि,कर्मचारियों की छंटनी का यह कदम विवाद का कारण बन सकता है और कंपनी की छवि को प्रभावित कर सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि कंपनी को अपनी रणनीतियों पर पुनर्विचार कर न केवल वित्तीय प्रदर्शन बल्कि कर्मचारियों की भलाई पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए।