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आरबीआई ने बैंकों से ऋण पर अतिरिक्त ब्याज वसूलने से मना किया

मुंबई,30 अप्रैल (युआईटीवी)- भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों और एनबीएफसी को ग्राहकों से ऋण पर अतिरिक्त ब्याज वसूलने से मना किया है। बैंकों और एनबीएफसी को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने निर्देश दिया कि ग्राहकों से वसूल किए जाने वाले ब्याज के मामले में वे निष्पक्ष और पारदर्शी बने। बैंकों से आरबीआई ने अपने कार्यों की समीक्षा करने के लिए कहा। आरबीआई ने कहा कि ऋण पर तय सीमा से अधिक ब्याज लेने वाले कई उदाहरण हमारे सामने आए हैं।

अपने सर्कुलर में आरबीआई ने बताया कि उधारकर्ताओं से अतिरिक्त ब्याज वसूलने में कुछ अनुचित प्रथाओं का सहारा लेने वाले ऋणदाताओं के उदाहरण सामने आए हैं। विनियमित संस्थाओं (बैंकों, एनबीएफसी और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों) की 31 मार्च, 2023 को समाप्त अवधि के लिए की गई ऑनसाइट जाँच के दौरान यह मामला सामने आई है। आरबीआई ने बैंकों को अपनी पर्यवेक्षी टीमों के माध्यम से सलाह दी है कि वे इस तरह के अतिरिक्त ब्याज और अन्य शुल्क ग्राहकों को वापस कर दे।

अपने सर्कुलर में आरबीआई ने कहा है कि,सभी विनियमित संस्थाओं को निष्पक्षता और पारदर्शिता के लिए निर्देश दिया जाता है कि वे ब्याज के आवेदन,ऋण वितरण के तरीकों इत्यादि अन्य शुल्कों के संबंध में अपनी प्रथाओं की समीक्षा करें तथा बदलाव सहित सुधारात्मक कार्रवाई सिस्टम स्तर पर किया जाए।

कुछ अनुचित प्रथाएँ जो आरबीआई द्वारा देखी गई है,वह इस प्रकार हैं:

* ग्राहक को ब्याज धनराशि के वास्तविक वितरण की तारीख से न लगाकर,ऋण की मंजूरी की तारीख या ऋण समझौते के निष्पादन की तारीख से लगाया जाना। जो ऋण चेक द्वारा वितरित किए जाते हैं,उसमें पाया गया कि ब्याज चेक की तारीख से लिया गया है,जबकि ग्राहक को कई दिनों के बाद चेक सौंपा गया।

* महीने के दौरान ऋण के वितरण या पुनर्भुगतान के मामले में,कुछ बैंकों द्वारा ब्याज सिर्फ उस अवधि के लिए नहीं लिया जा रहा है,जिसके लिए ऋण बकाया था।

*कुछ मामलों में, देखा गया कि पहले ही एक या अधिक किस्तें बैंक ने वसूल लिया था,लेकिन ब्याज के भुगतान के लिए ऋण की पूरी राशि की गणना कर रहे थे।

आरबीआई ने कहा कि इस प्रकार से ब्याज वसूल करने का तरीका गैर-मानक प्रथाएँ हैं। इस प्रकार की प्रथाएँ ग्राहकों के प्रति निष्पक्षता और पारदर्शिता की भावना के अनुरूप नहीं है,जो की “गंभीर चिंता” का विषय है।

केंद्रीय बैंक ने कहा कि इस प्रकार की प्रथाएँ जहाँ भी सामने आई है,उन बैंकों,एनबीएफसी और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों को आरबीआई ने सलाह दी है कि वे इस प्रकार के अतिरिक्त ब्याज और अन्य शुल्क ग्राहकों को वापस कर दे।

आरबीआई ने कहा कि कुछ ऐसे भी मामले हैं,जिसमें ऋणदाताओं को प्रोत्साहित किया जा रहा है कि वे ऋण के वितरण के लिए चेक के बजाए सीधे खाते में ऑनलाइन हस्तांतरण करें।

 

 

 

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