मणिपुर में हिंसा

मणिपुर के हालात का जायजा लेने के लिए जस्टिस बी.आर.गवई समेत सुप्रीम कोर्ट के 6 जजों का डेलिगेशन मणिपुर पहुँचा

इंफाल,22 मार्च (युआईटीवी)- मणिपुर में जारी जातीय हिंसा और तनावपूर्ण स्थिति के बीच, सुप्रीम कोर्ट के जजों का एक छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल, जिसका नेतृत्व न्यायमूर्ति बी.आर. गवई कर रहे थे, शनिवार को राज्य के मौजूदा हालात का जायजा लेने के लिए मणिपुर पहुँचा। इस डेलिगेशन में न्यायमूर्ति बी.आर. गवई के अलावा न्यायमूर्ति सूर्यकांत,न्यायमूर्ति विक्रम नाथ,न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश,न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर शामिल थे। यह प्रतिनिधिमंडल राज्य के विभिन्न हिस्सों में दौरा करेगा,ताकि वह वहाँ की वास्तविक स्थिति को समझ सके और समुचित कदम उठाने में मदद कर सके।

सुप्रीम कोर्ट के जजों का यह प्रतिनिधिमंडल इंफाल से हेलीकॉप्टर के माध्यम से चुराचांदपुर गया,जो मणिपुर का एक प्रमुख क्षेत्र है। चुराचांदपुर,जो कुकी समुदाय की बहुलता वाला जिला है,जातीय हिंसा के कारण जूझ रहा है। मणिपुर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश,जस्टिस डी. कृष्णकुमार और जस्टिस गोलमेई गैफुलशिलू ने सुप्रीम कोर्ट के जजों का इंफाल में स्वागत किया और उनकी यात्रा की शुरुआत में अहम भूमिका निभाई।

सुप्रीम कोर्ट के प्रतिनिधिमंडल ने सबसे पहले 27 असम राइफल्स के कैंप में ब्रेकफास्ट किया। इसके बाद,यह दल चुराचांदपुर के राहत शिविर के लिए रवाना हुआ। यहाँ राहत शिविरों में विस्थापित लोगों को अस्थायी आवास और अन्य आवश्यक सुविधाएँ दी जाती हैं। इस यात्रा के दौरान,न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह,जो मणिपुर के एक स्थानीय न्यायाधीश हैं,सुप्रीम कोर्ट के अन्य जजों के साथ चुराचांदपुर नहीं गए,क्योंकि वे मणिपुर के मैतेई समुदाय से आते हैं। यह कदम इसलिए उठाया गया,क्योंकि चुराचांदपुर में कुकी समुदाय की बहुलता है और वहाँ की स्थानीय बार एसोसिएशन ने मैतेई समुदाय से संबंधित जजों के प्रवेश का विरोध किया था।

चुराचांदपुर बार एसोसिएशन ने एक बयान जारी किया था,जिसमें उन्होंने कहा था कि,”शांति और सार्वजनिक व्यवस्था के हित में,मैतेई समुदाय के जज हमारे जिले में कदम नहीं रखेंगे,भले ही उनका नाम सुप्रीम कोर्ट के छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल हो।” इस बयान का उद्देश्य क्षेत्र में जारी जातीय तनाव को और बढ़ने से रोकना था। इसी वजह से,मणिपुर हाई कोर्ट के दो न्यायाधीश,जस्टिस डी. कृष्णकुमार और जस्टिस गोलमेई गैफुलशिलू,जो मैतेई समुदाय से आते हैं,भी चुराचांदपुर के दौरे में शामिल नहीं हुए। उनका यह कदम स्थानीय समुदायों के बीच शांति बनाए रखने के प्रयासों के तहत था।

इस बीच,न्यायमूर्ति बी.आर. गवई,जो राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं,ने घोषणा की कि वे मणिपुर के सभी जिलों में लीगल सर्विस कैंप और मेडिकल कैंप का वर्चुअली उद्घाटन करेंगे। इसके साथ ही,इंफाल पूर्व, इंफाल पश्चिम और उखरूल जिलों में नए लीगल एड क्लीनिक का उद्घाटन भी किया जाएगा। इन क्लीनिकों का उद्देश्य आम नागरिकों को कानूनी मदद और चिकित्सा सुविधाएँ प्रदान करना है,खासकर उन लोगों को जो जातीय हिंसा और अशांति के कारण प्रभावित हुए हैं।

सुप्रीम कोर्ट का यह प्रतिनिधिमंडल मणिपुर में जारी जातीय संघर्ष और उसके परिणामस्वरूप उत्पन्न हुई असहमति और हिंसा का संज्ञान ले रहा है। मणिपुर में पिछले दो वर्षों से मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हिंसक संघर्ष हो रहा है,जिसके कारण राज्य में अस्थिरता और तनाव की स्थिति बनी हुई है। इस संघर्ष ने राज्य के सामाजिक,राजनीतिक और आर्थिक ताने-बाने को प्रभावित किया है और हजारों लोग विस्थापित हो चुके हैं।

इस यात्रा के दौरान,सुप्रीम कोर्ट के जजों का उद्देश्य मणिपुर की स्थिति को समझना, प्रभावित लोगों को सहायता पहुँचाना और राज्य में शांति बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाना है। यह दौरा मणिपुर में जातीय हिंसा को समाप्त करने और समाज में सद्भावना स्थापित करने के प्रयासों में अहम भूमिका निभा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट के जजों के इस दौरे ने मणिपुर की कठिन परिस्थितियों को समझने और राज्य में स्थिरता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब यह देखना होगा कि इस यात्रा के बाद,मणिपुर में किस तरह के सुधार और कदम उठाए जाते हैं, ताकि वहाँ की जनता को न्याय और शांति मिल सके।