नई दिल्ली,15 जुलाई (युआईटीवी)- भारत के मशहूर मैराथन धावक और दुनिया के सबसे उम्रदराज एथलीट फौजा सिंह का 114 वर्ष की आयु में निधन हो गया। सोमवार सुबह जालंधर में टहलने के दौरान एक सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल होने के बाद उनका देहांत हो गया। उनके निधन से खेल जगत और उनके प्रशंसकों में गहरा शोक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि फौजा सिंह का जीवन पूरे देश के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
सोमवार सुबह फौजा सिंह अपनी रोजाना की तरह सैर पर निकले थे,तभी एक तेज रफ्तार कार ने उन्हें टक्कर मार दी। हादसे के बाद कार चालक मौके से फरार हो गया। गंभीर रूप से घायल फौजा सिंह को तुरंत जालंधर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया,जहाँ इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
जालंधर पुलिस ने इस घटना की जाँच शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया और फरार चालक की तलाश के लिए सीसीटीवी फुटेज खंगालने के साथ-साथ प्रत्यक्षदर्शियों से भी पूछताछ की है।
Fauja Singh Ji was extraordinary because of his unique persona and the manner in which he inspired the youth of India on a very important topic of fitness. He was an exceptional athlete with incredible determination. Pained by his passing away. My thoughts are with his family and…
— Narendra Modi (@narendramodi) July 15, 2025
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर फौजा सिंह के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने लिखा,“फौजा सिंह एक असाधारण व्यक्ति थे। उन्होंने अपने खास व्यक्तित्व और फिटनेस जैसे महत्वपूर्ण विषय को लेकर भारत के युवाओं को प्रेरित किया। वे अद्भुत दृढ़ संकल्प वाले एक उत्कृष्ट एथलीट थे। उनके निधन से बहुत दुख हुआ। मेरी संवेदनाएँ उनके परिवार और दुनियाभर में मौजूद उनके अनगिनत प्रशंसकों के साथ हैं।”
पीएम मोदी के अलावा खेल जगत और फिटनेस इंडस्ट्री से जुड़े कई लोगों ने भी फौजा सिंह को श्रद्धांजलि दी और उन्हें सच्चा प्रेरणास्रोत बताया।
फौजा सिंह का जन्म 1 अप्रैल 1911 को पंजाब के जालंधर जिले के ब्यास पिंड गाँव में हुआ था। वह चार भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। जन्म से शारीरिक रूप से कमजोर फौजा सिंह पाँच साल की उम्र तक चल नहीं पाते थे,लेकिन अपनी अदम्य इच्छाशक्ति और कड़ी मेहनत से उन्होंने इस कमजोरी को अपनी सबसे बड़ी ताकत बना लिया।
फौजा सिंह को बचपन से ही दौड़ने का शौक था। उनका जीवन 1947 के भारत-पाकिस्तान विभाजन से गहराई से प्रभावित हुआ। विभाजन के समय हुई हिंसा और विस्थापन ने उनके मन में गहरा असर छोड़ा,लेकिन उन्होंने अपनी दौड़ और मेहनत से इस दर्द को एक सकारात्मक प्रेरणा में बदल दिया।
फौजा सिंह ने अपनी असाधारण फिटनेस और साहस से पूरी दुनिया को चकित किया। उन्होंने 100 वर्ष की आयु में साल 2011 में टोरंटो मैराथन पूरा करके इतिहास रच दिया। उन्होंने 42 किलोमीटर की इस मैराथन को 8 घंटे,11 मिनट और 6 सेकंड में पूरा किया।
इस उपलब्धि के साथ वह दुनिया के पहले 100 वर्षीय मैराथन धावक बन गए। उनके इस रिकॉर्ड ने उन्हें वैश्विक पहचान दिलाई और वह फिटनेस के प्रतीक बनकर उभरे। फौजा सिंह ने कई अंतर्राष्ट्रीय मैराथनों में हिस्सा लिया और हमेशा अपनी सादगी व दृढ़ संकल्प से लोगों को प्रेरित किया।
फौजा सिंह न सिर्फ एक धावक थे,बल्कि उन्होंने फिटनेस और स्वस्थ जीवनशैली के महत्व को दुनिया के सामने रखा। वह अक्सर कहते थे कि, “उम्र सिर्फ एक संख्या है। असली ताकत आपके मन और आत्मविश्वास में होती है।”
उनकी सक्रिय जीवनशैली और साधारण भोजन की आदतों ने उन्हें 100 साल की उम्र के बाद भी ऊर्जावान बनाए रखा। वह अपने जीवन के अंतिम दिनों तक फिटनेस के प्रति उतने ही समर्पित रहे जितने युवावस्था में थे।
फौजा सिंह की मौत से खेल जगत और फिटनेस जगत में गहरा शोक है। उन्हें न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में सम्मान की नजर से देखा जाता था। उनकी कहानी ने कई युवाओं और बुजुर्गों को फिटनेस और दृढ़ संकल्प की दिशा में प्रेरित किया।
उनकी उपलब्धियाँ और संघर्ष भारतीय खेल इतिहास में हमेशा याद रखे जाएँगे। फौजा सिंह का जीवन यह साबित करता है कि उम्र कभी भी किसी सपने को पूरा करने में बाधा नहीं बन सकती।