नई दिल्ली,22 मई (युआईटीवी)- अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को वैध ठहराने वाले संविधान पीठ के निर्णय के खिलाफ दायर समीक्षा याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। पुनर्विचार याचिकाओं को भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़,जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत,जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ में यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि फैसले के हस्तक्षेप का कोई कारण नहीं बनता है।
सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा,दायर की गई समीक्षा याचिकाओं पर गौर किया गया,जिसके बाद पाया गया कि स्पष्ट रूप से रिकॉर्ड पर कोई त्रुटि नहीं है। समीक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट नियम 2013 के आदेश XLVII, नियम 1 के तहत कोई मामला नहीं बनता। इसलिए,समीक्षा याचिकाओं को खारिज किया जाता है।
दायर याचिकाओं में कहा गया था कि अनुच्छेद 370 को समाप्त नहीं किया जा सकता,लिहाजा सुप्रीम कोर्ट को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। अनुच्छेद 370 को भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पाँच सदस्यीय संविधान पीठ ने 11 दिसंबर 2023 को निरस्त करने के केंद्र के फैसले को बरकरार रखा था। अनुच्छेद 370 को पीठ ने सर्वसम्मत से एक अस्थायी प्रावधान माना था। सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने 11 दिसंबर को दिए गए फैसले में लद्दाख को संविधान के अनुच्छेद 3 (ए) के तहत केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा बरकरार रखा था।
अनुच्छेद 370 को खत्म करने के आदेश देने की राष्ट्रपति की शक्तियों को भी संविधान की पीठ ने बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि अनुच्छेद 370 असीमित संघवाद की विशेषता थी,यह संप्रभुता की विशेषता नहीं थी। कोर्ट ने यह भी माना था कि जम्मू-कश्मीर की सहमति भारतीय संविधान के सभी प्रावधानों को लागू करने के लिए आवश्यक नहीं थी। चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 30 सितंबर, 2024 तक जम्मू-कश्मीर में चुनाव होने चाहिए। साथ ही जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी जम्मू एवं कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल किया जाना चाहिए।