ढाई हजार साल की विरासत वाले सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत को उपदेश देने की जरुरत नहीं: कांबोज

संयुक्त राष्ट्र, 2 दिसंबर (युआईटीवी/आईएएनएस)- संयुक्त राष्ट्र में नई दिल्ली की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के तौर पर सदियों पुरानी विरासत के साथ किसी को भी भारत को उपदेश देने की जरूरत नहीं है।

उन्होंने मंगलवार को यह बात तब कही, जब एक इतालवी पत्रकार ने आलोचना की कि प्रेस की स्वतंत्रता का क्षरण हो रहा है, “हमें यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि लोकतंत्र पर क्या करना है।”

“भारत शायद दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यता है जैसा कि आप सभी जानते हैं। भारत में लोकतंत्र की जड़ें 2,500 साल पहले से हैं, हम हमेशा एक लोकतंत्र थे।”

“हमारे पास लोकतंत्र के सभी स्तंभ अक्षुण्ण हैं, विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और चौथा स्तंभ एक प्रेस और एक बहुत जीवंत सोशल मीडिया।”

पार्टियों के बीच सत्ता परिवर्तन देखने वाले आम चुनावों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “हर कोई अपनी इच्छानुसार कहने के लिए स्वतंत्र है, और इसी तरह हमारा देश काम करता है। हर पांच साल में हम दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक अभ्यास करते हैं।”

कम्बोज ने कहा, “यहां तेजी से सुधार और परिवर्तन कर रहा है और मुझे यह कहने की जरूरत नहीं है।”

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