नई दिल्ली,28 अक्टूबर (युआईटीवी)- दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार,29 अक्टूबर को एक नए जन औषधि केंद्र का उद्घाटन करेंगे। इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा भी वहाँ प्रधानमंत्री मोदी के साथ उपस्थित रहेंगे।
1,724 वर्ग फुट में यह नया जन औषधि केंद्र फैला है। यहाँ 2,047 से अधिक उच्च गुणवत्ता की जेनेरिक दवाएँ तथा 300 से अधिक सर्जिकल उपकरण बहुत कम कीमत पर उपलब्ध होंगे। एम्स में प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) के तहत इस जन औषधि केंद्र का उद्घाटन किया जा रहा है। उद्देश्य भारत में स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ और किफायती बनाना इसका उद्देश्य है।
इस केंद्र का मुख्य उद्देश्य एम्स में इलाज कराने वाले मरीजों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाएँ उपलब्ध कराना है। यहाँ हृदय रोग,कैंसर,डायबिटीज,संक्रमण, एलर्जी,पेट संबंधी समस्याएँ तथा पोषण से जुड़ी दवाएँ उपलब्ध रहेंगी। यह पहल हर दिन एम्स में इलाज के लिए आने वाले हजारों मरीजों के लिए उच्च गुणवत्ता वाली, सस्ती स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करेगी।
जन औषधि केंद्र की स्थापना सरकार की यह प्रतिबद्धता दर्शाती है कि आवश्यक दवाएं सभी के लिए उपलब्ध हों। वर्तमान में, पूरे भारत में 14,000 से अधिक जन औषधि केंद्र चल रहे हैं,जो रोजाना तकरीबन दस लाख लोगों को स्वास्थ्य लाभ पहुँचा रहे हैं। ये केंद्र देश के दूरदराज और पिछड़े क्षेत्रों में जीवनरक्षक सेवाएँ पहुँचाते हैं और 780 जिलों में काम कर रहे हैं।
भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है कि अगले दो वर्षों में इन केंद्रों की संख्या बढ़ाकर 25,000 तक ले पहुँचाना है। यह विस्तार सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता को तो बढ़ाएगा ही साथ ही इसके विस्तार लाखों नागरिकों को उनकी जरूरत की दवाइयाँ सुलभ करेगा।
यह पहल उच्च गुणवत्ता वाली जेनेरिक दवाइयां किफायती दरों पर उपलब्ध कराएगी, जिससे उन लोगों को राहत मिलेगी जो लंबे समय से महँगी स्वास्थ्य सेवाओं का सामना कर रहे थे।
यह स्वास्थ्य सेवाओं में समावेशिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण बदलाव है,जो सरकार की स्वास्थ्य समता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है,ताकि कोई भी नागरिक गुणवत्ता युक्त इलाज से वंचित न रहे।
एम्स का जन औषधि केंद्र एक स्वस्थ भारत की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक है,जो लोगों को सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं का अधिकार देता है और देश में स्वास्थ्य सेवा के स्वरूप को मूल रूप से बदलने का प्रयास करता है।