अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (तस्वीर क्रेडिट@ekbhartiya777)

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शेयर बाजार में हाहाकार के बीच अपनी टैरिफ नीतियों को सही ठहराया,बोले-मुसीबतों को ठीक करने के लिए जरूरी

वाशिंगटन, 7 अप्रैल (युआईटीवी)- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शेयर बाजार में हाहाकार के बीच अपनी विवादास्पद टैरिफ नीतियों को सही ठहराया है। सोमवार को, वैश्विक खासतौर से एशियाई शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखी गई,जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी विवादास्पद टैरिफ नीतियों का बचाव किया। ट्रंप ने कहा कि दुनिया के नेता अब रेसिप्रोकल (परस्पर) टैरिफ पर बातचीत करने के लिए समझौता करने के लिए बेताब हैं। उनका यह बयान एशियाई बाजारों में निराशाजनक शुरुआत के बावजूद आया। राष्ट्रपति ट्रंप ने वैश्विक व्यापार असंतुलन को ठीक करने के लिए अपनी नीतियों को आवश्यक बताते हुए,बाजार में आई परेशानियों को दीर्घकालिक समाधान के रूप में पेश किया।

सोमवार को एशियाई बाजारों में दिन की शुरुआत बहुत ही भारी गिरावट के साथ हुई। एशियाई शेयर बाजारों में गिरावट के कारण निवेशकों में असमंजस और निराशा का माहौल था,लेकिन ट्रंप ने अपनी टैरिफ नीतियों के समर्थन में बयान देते हुए,बाजार के लिए इसे एक तरह की “दवा” बताया। उन्होंने कहा कि कभी-कभी आपको किसी चीज को ठीक करने के लिए दवा लेनी पड़ती है और उनके अनुसार, उनका टैरिफ नीति वही दवा है,जो दीर्घकालिक व्यापार असंतुलन को सुधारने के लिए जरूरी है।

ट्रंप ने एयर फोर्स वन में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि वे वीकेंड में कई विश्व नेताओं के संपर्क में थे और दावा किया कि कई देश अमेरिका से समझौता करने के लिए तैयार हैं। इसके बावजूद,वैश्विक बाजारों में भारी नुकसान के बावजूद,ट्रंप प्रशासन ने अपनी आक्रामक टैरिफ रणनीति से पीछे हटने का कोई संकेत नहीं दिया। इस दौरान,ट्रंप ने मीडिया को यह भी बताया कि वे बाजारों के बारे में भविष्यवाणी करने की स्थिति में नहीं हैं,लेकिन उनका यह विश्वास था कि अमेरिका का आर्थिक स्थिति मजबूत है। उन्होंने कहा, “बाजारों का क्या होगा,मैं आपको नहीं बता सकता,लेकिन हमारा देश कहीं अधिक मजबूत हैं।”

चीन ने अमेरिकी टैरिफ नीतियों के जवाब में विशेष रूप से जवाबी कार्रवाई करने का ऐलान किया,जिससे व्यापार युद्ध और बढ़ने की चिंता पैदा हो गई। चीन की प्रतिक्रिया से यह स्पष्ट था कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव और अधिक बढ़ सकता है। इस बीच,आर्थिक विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि यदि अमेरिका अपनी मौजूदा नीतियों पर कायम रहा,तो वैश्विक अर्थव्यवस्था गंभीर मंदी का सामना कर सकती है। जेपी मॉर्गन के मुख्य अर्थशास्त्री ब्रूस कासमैन ने मंदी के खतरे को 60 प्रतिशत बताया, जिससे बाजार में और भी अनिश्चितता बढ़ गई।

कुछ विशेषज्ञों ने इस स्थिति को 1987 के ब्लैक मंडे क्रैश से जोड़ा,जब वैश्विक बाजारों ने एक ही दिन में 1.71 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान उठाया था। इस समय, बाजारों में गिरावट इतनी तेज थी कि कई देशों की अर्थव्यवस्थाएँ संकट में पड़ गई थीं। सीएनबीसी के जिम क्रैमर ने भी इस पर चेतावनी दी और कहा कि यदि ट्रंप की व्यापार नीतियाँ इसी तरह जारी रहती हैं,तो बाजारों को एक और भयावह घटना का सामना करना पड़ सकता है। उनके अनुसार,इस स्थिति को समझते हुए,निवेशकों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है।

मौजूदा समय में,वैश्विक बाजारों में उतार-चढ़ाव का दौर जारी है और अब सभी की निगाहें व्हाइट हाउस और व्यापार संघर्ष में अगले कदमों पर टिकी हुई हैं। व्यापार युद्ध के चलते निवेशक भी असमंजस में हैं और हर नए निर्णय का असर वैश्विक बाजारों पर पड़ रहा है। निवेशक बाजार के अगले कदम का अनुमान लगाने में असमर्थ हैं,क्योंकि स्थिति लगातार बदल रही है।

अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यदि व्यापार युद्ध का यह सिलसिला जारी रहता है,तो न केवल अमेरिका बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी गंभीर असर पड़ सकता है। व्यापार युद्ध से पैदा होने वाली अनिश्चितता,वैश्विक व्यापार नेटवर्क को प्रभावित कर सकती है और अन्य देशों के साथ व्यापारिक रिश्तों को भी बिगाड़ सकती है। इसके अलावा,निर्यात और आयात पर बढ़ते शुल्क के कारण कंपनियों के मुनाफे पर भी असर पड़ सकता है,जो अंततः वैश्विक अर्थव्यवस्था को कमजोर कर सकता है।

दूसरी ओर,ट्रंप प्रशासन का कहना है कि उनकी टैरिफ नीति का उद्देश्य अमेरिका के व्यापारिक असंतुलन को सुधारना है और यह नीतियाँ दीर्घकालिक लाभ के लिए हैं। हालाँकि,इस नीति के चलते वैश्विक व्यापार में जो अशांति पैदा हुई है,वह निवेशकों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि स्थिति को जल्द नहीं संभाला गया,तो इसका प्रभाव लंबे समय तक वैश्विक बाजारों पर पड़ा सकता है।

सोमवार को वैश्विक बाजारों में आई गिरावट और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की टैरिफ नीतियों के प्रति उनका समर्थन एक नए तरह के वैश्विक आर्थिक संकट का संकेत दे रहा है। हालाँकि,ट्रंप ने इस स्थिति को एक “दीर्घकालिक समाधान” के रूप में प्रस्तुत किया,लेकिन बाजारों में अस्थिरता और मंदी के जोखिम को लेकर विशेषज्ञों के विचार चिंताजनक हैं। अब यह देखना होगा कि ट्रंप प्रशासन अगले कदम किस दिशा में उठाता है और क्या वैश्विक अर्थव्यवस्था इस विवाद से बच सकती है या नहीं।