सुप्रीम कोर्ट

न्यूज़क्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ को सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई के आदेश दिए

नई दिल्ली,15 मई (युआईटीवी)- न्यूज़क्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ को सुप्रीम कोर्ट ने रिहा करने के आदेश दिए हैं। गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम के तहत दिल्ली पुलिस द्वारा की गई उनकी गिरफ्तारी और रिमांड को सुप्रीम कोर्ट ने अवैध करार दिया और उन्हें रिहा करने के निर्देश दिए।

न्यायमूर्ति बी आर गवई की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि,इस निष्कर्ष पर पहुँचने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि ये गिरफ्तारी अवैध है,क्योंकि गिरफ्तारी के लिए रिमांड कॉपी लिखित रूप में नहीं दी गई। आरोपी-अपीलकर्ता या उसके वकील को 4 अक्टूबर, 2023 के रिमांड आदेश के पारित होने से पहले रिमांड आवेदन की एक प्रति,गिरफ्तारी के आधार की लिखित सूचना प्रदान नहीं की गई थी। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने शीर्ष अदालत के समक्ष प्रबीर का प्रतिनिधित्व किया।

30 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने न्यूजक्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ को गिरफ्तारी के बाद उनके वकील को सूचित किए बिना मजिस्ट्रेट के सामने पेश किए जाने के लिए दिल्ली पुलिस पर सवाल उठाए थे। इस जल्दबाजी के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए सवाल उठाए थे। न्यूज़क्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ के वकील को रिमांड आवेदन दिए जाने से पहले ही रिमांड आदेश पारित कर दिए जाने पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने हैरानी जताई।

दिल्ली पुलिस को पुलिस रिमांड का आधार नहीं बताने पर जस्टिस गवई की अगुवाई वाली पीठ ने पिछले साल अक्टूबर में नोटिस जारी किया था।

न्यूज़क्लिक कार्यालय और समाचार पोर्टल के संपादकों और पत्रकारों के आवासों सहित कई जगहों पर दिल्ली पुलिस ने छापेमारी की और पिछले साल 3 अक्टूबर को दिल्ली पुलिस ने पुरकायस्थ और एचआर प्रमुख अमित चक्रवर्ती को गिरफ्तार कर लिया था। उन्हें अगले दिन सुबह 6 बजे मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया था।

प्रबीर पुरकायस्थ को पोर्टल के जरिए राष्ट्र-विरोधी प्रचार को बढ़ावा देने के लिए कथित चीनी फंडिंग के मामले में गिरफ्तार किया गया था।एफआईआर के मुताबिक,चीन से भारी धनराशि समाचार पोर्टल को ‘भारत की संप्रभुता को बाधा पहुँचाने’ और देश के खिलाफ असंतोष पैदा करने के लिए आई थी।

पुरकायस्थ पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने पीपुल्स अलायंस फॉर डेमोक्रेसी एंड सेक्युलरिज्म (पीएडीएस) समूह के साथ 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान चुनावी प्रक्रिया को बाधित करने के लिए साजिश रची थी।

इस बात पर पीठ ने जोर दिया कि अपीलकर्ता की गिरफ्तारी और उसके बाद की रिमांड पर इससे प्रभाव पड़ेगा। पीठ ने कहा कि,इस अदालत ने पंकज बंसल मामले में जो फैसला दिया था,उसके आधार पर अपीलकर्ता रिहाई के निर्देश का हकदार है। इस मामले में गिरफ्तारी और उसके बाद पुलिस रिमांड के खिलाफ उनकी याचिका को दिल्ली उच्च न्यायालय ने खारिज कर दी थी।

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