अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (तस्वीर क्रेडिट@IndGentlemanJi)

अमेरिका के गोल्डन डोम मिसाइल डिफेंस सिस्टम में कनाडा के शामिल होने की संभावना,मार्क कार्नी और ट्रंप के बीच हुई बातचीत

वाशिंगटन,22 मई (युआईटीवी)- अमेरिका ने इज़राइल के ‘आयरन डोम’ की तर्ज पर एक नए और अत्याधुनिक ‘गोल्डन डोम मिसाइल डिफेंस सिस्टम’ के निर्माण को मंजूरी दे दी है। यह फैसला अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा मार्च 2025 में अमेरिकी संसद में दिए गए अपने भाषण के अनुरूप है,जिसमें उन्होंने इस महत्वाकांक्षी रक्षा प्रणाली की योजना का खुलासा किया था।

इस नई प्रणाली का उद्देश्य अमेरिका को न सिर्फ हाइपरसोनिक मिसाइलों और ड्रोन हमलों से सुरक्षा देना है,बल्कि अंतरिक्ष से भी किसी भी प्रकार की मिसाइल या हथियारबंद हमले को विफल करना है। यह अमेरिका के सैन्य इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा और तकनीकी रूप से सबसे उन्नत रक्षा प्रोजेक्ट माना जा रहा है।

गोल्डन डोम अमेरिका की अगली पीढ़ी की मिसाइल रक्षा प्रणाली होगी,जिसमें कई प्रकार की उन्नत तकनीकों का समावेश किया जाएगा, जैसे-अंतरिक्ष आधारित सेंसर और सिग्नल इंटरसेप्टर,बैलिस्टिक मिसाइल,हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल,ड्रोन और फाइटर जेट्स को हवा में ही नष्ट करने की क्षमता,प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली जो किसी भी हमले से पहले खतरे की पहचान कर सके,रक्षात्मक मिसाइलों का ऐसा जाल जो हमले से पहले ही शत्रु की गतिविधियों को निष्क्रिय कर सके और अमेरिकी रक्षा अधिकारियों का कहना है कि यह प्रणाली कई स्तरों भूमि, समुद्र, वायु और अंतरिक्ष पर रक्षा प्रदान।

इस प्रोजेक्ट में कनाडा भी अमेरिका के साथ साझेदारी करने की इच्छा जता चुका है। कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने बुधवार को सार्वजनिक रूप से इस बात की पुष्टि की कि उनकी सरकार अमेरिका के साथ गोल्डन डोम परियोजना में शामिल होने को लेकर बातचीत कर रही है। उन्होंने इसे कनाडा की सुरक्षा और सामरिक स्थिति के लिहाज़ से एक उत्कृष्ट विचार बताया।

प्रधानमंत्री कार्नी ने बताया कि, “हम अमेरिका से लगातार संपर्क में हैं और उच्च-स्तरीय वार्ताएँ जारी हैं। यह प्रणाली न सिर्फ अमेरिका बल्कि पूरे उत्तरी अमेरिका की सुरक्षा को एक नई दिशा देगी।”

राष्ट्रपति ट्रंप ने भी इस बात की पुष्टि की और कहा कि, “कनाडा ने इस प्रोजेक्ट में रुचि दिखाई है,हम दोनों देश मिलकर काम करेंगे,लेकिन इसके लिए कनाडा को वित्तीय और तकनीकी योगदान देना होगा।”

गोल्डन डोम मिसाइल डिफेंस सिस्टम की कुल अनुमानित लागत लगभग 175 अरब डॉलर है। यह अमेरिका के रक्षा बजट में एक बड़ा निवेश साबित होगा। राष्ट्रपति ट्रंप ने उम्मीद जताई है कि, “साल 2029 तक यह सिस्टम पूरी तरह से तैयार और संचालित हो जाएगा। इससे अमेरिका किसी भी संभावित खतरे का जवाब अंतरिक्ष से ही दे सकेगा।”

इससे पहले अमेरिका के पास ऐसी कोई संपूर्ण प्रणाली नहीं थी,जो हाइपरसोनिक मिसाइलों,ड्रोन झुंड हमलों या अंतरिक्ष से आने वाले खतरों का व्यापक तौर पर सामना कर सके। वर्तमान में अमेरिकी रक्षा तंत्र बिखरा हुआ और टुकड़ों में बंटा हुआ माना जाता है। गोल्डन डोम से अमेरिका को एक एकीकृत और समन्वित सुरक्षा कवच मिल सकेगा।

इस परियोजना के तहत अमेरिका अब अंतरिक्ष में रक्षा से जुड़े उपकरण और संभावित रूप से हथियार भी तैनात करने की तैयारी कर रहा है। इससे अमेरिका को अंतरिक्ष आधारित खतरों को समय से पहले पहचानने और उन पर तुरंत कार्रवाई करने की सामर्थ्य मिल जाएगी।

ट्रंप ने कहा कि, “अब समय आ गया है कि अमेरिका अपनी सुरक्षा को केवल पृथ्वी तक सीमित न रखे। हमें अंतरिक्ष में भी अपनी मौजूदगी और ताकत साबित करनी होगी।”

गोल्डन डोम में शामिल कुछ मुख्य तकनीकी पहलुओं में शामिल होंगे:

* एआई आधारित खतरे की पहचान प्रणाली

* सैटेलाइट-टू-सैटेलाइट कम्युनिकेशन

* क्लाउड डेटा एनालिटिक्स जो तत्काल फैसले ले सके

* ऑटोमेटिक लॉन्च काउंटर-सिस्टम

इसका मतलब है कि अमेरिका अब किसी मिसाइल के लॉन्च होने की जानकारी मिलने के सिर्फ कुछ सेकंड्स में जवाबी हमला कर सकेगा,वह भी जमीन से नहीं, बल्कि सीधे अंतरिक्ष से।

हालाँकि,अमेरिका इसे अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा की जरूरत बता रहा है,लेकिन कई वैश्विक रणनीतिकारों और सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि गोल्डन डोम जैसी प्रणाली से अंतरिक्ष को हथियारों की होड़ में धकेला जा सकता है। इससे वैश्विक तनाव और अंतरिक्ष सैन्यकरण की दौड़ को और बढ़ावा मिल सकता है।

चीन और रूस पहले ही अमेरिका के अंतरिक्ष डिफेंस कार्यक्रमों पर चिंता जता चुके हैं। आने वाले समय में ये देश भी अपने-अपने स्पेस डिफेंस प्रोग्राम को तेज कर सकते हैं।

गोल्डन डोम मिसाइल डिफेंस सिस्टम अमेरिका की सुरक्षा रणनीति में एक ऐतिहासिक मोड़ है। यह न सिर्फ अमेरिका को अत्याधुनिक मिसाइल और ड्रोन हमलों से सुरक्षा देगा,बल्कि उसे अंतरिक्ष में भी वर्चस्व स्थापित करने की शक्ति देगा।

हालाँकि,इससे वैश्विक भू-राजनीति में असंतुलन पैदा होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। अब यह देखना बाकी है कि क्या बाकी देश भी इसी दिशा में आगे बढ़ते हैं या फिर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इस पर संयुक्त नियम और नियंत्रण तय करता है।

एक बात तो तय है कि गोल्डन डोम अब सिर्फ एक सुरक्षा प्रणाली नहीं,बल्कि अंतरिक्ष और रणनीति का नया युग है।