मुंबई,1 फरवरी (युआईटीवी)- 90 के दशक में बॉलीवुड में अपनी अदाकारी से राज करने वाली अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े से निष्कासित कर दिया गया है। साथ ही उन्हें जो महामंडलेश्वर का पद दिया गया,उसे भी वापस ले लिया गया है। अखाड़े ने अभिनेत्री के सिनेमा से पुराने संबंध और उनके कथित आपराधिक अतीत को इस निर्णय का कारण बताया है।
इंटरनेट पर वायरल एक दस्तावेज के मुताबिक, किन्नर अखाड़े के प्रमुख ऋषि अजय दास ने एक पत्र जारी कर यह सूचना दी। उन्होंने पत्र में लिखा कि किन्नर अखाड़े के संस्थापक होने के नाते वह आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को किन्नर अखाड़े के पद से मुक्त कर रहे हैं। पत्र में यह भी उल्लेख किया गया कि लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को 2015-16 के उज्जैन कुंभ में महामंडलेश्वर नियुक्त किया गया था,लेकिन अब उनकी धार्मिक अनुष्ठानों और किन्नर समुदाय के उत्थान के लिए की गई नियुक्ति को वापस लिया जा रहा है।
ऋषि अजय दास ने यह आरोप भी लगाया कि लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने 2019 के प्रयागराज कुंभ में जूना अखाड़े के साथ एक अनुबंध किया था,जो उनकी सहमति के बिना हुआ था। उन्होंने कहा कि यह अनुबंध न केवल अनैतिक था,बल्कि एक धोखाधड़ी भी थी। इस अनुबंध में जूना अखाड़ा किन्नर अखाड़े को 14 अखाड़ों के रूप में स्वीकार करता है,जो सनातन धर्म के सिद्धांतों के खिलाफ है। उन्होंने इस अनुबंध को वैध नहीं मानते हुए इसे धार्मिक आस्थाओं और परंपराओं का उल्लंघन करार दिया।
ऋषि अजय दास ने यह भी आरोप लगाया कि ममता कुलकर्णी का आपराधिक अतीत देशद्रोह का कृत्य है। उन्होंने कहा कि ममता ने ग्लैमर की दुनिया से जुड़े रहने के लिए किन्नर अखाड़े की धार्मिक परंपराओं का उल्लंघन किया। उनका कहना था कि ममता ने किन्नर अखाड़े के सिद्धांतों का पालन नहीं किया और न ही जूना अखाड़े के सिद्धांतों का पालन किया।
उन्होंने कहा कि, “इन कार्यों से किन्नर अखाड़े के प्रतीकों को नुकसान पहुँचा है और ये लोग समाज को धोखा दे रहे हैं।” ऋषि अजय दास ने इस मुद्दे को सार्वजनिक करते हुए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी दी,जिससे उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यह कदम धर्महित और जनहित में लिया गया है।
यह मामला अब और गंभीर हो गया है,क्योंकि ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं से बाहर करने की यह घटना कई सवालों को जन्म देती है। अभिनेत्री के सिनेमा से जुड़े अतीत और उनके विवादों के कारण यह निर्णय लिया गया,जो अखाड़े की धार्मिक आस्थाओं से मेल नहीं खाते थे।
ममता कुलकर्णी, जो 90 के दशक में बॉलीवुड की एक प्रमुख अभिनेत्री के रूप में जानी जाती थीं,अब यह विवादों के केंद्र में हैं। उनके खिलाफ लगे आरोपों के बाद किन्नर अखाड़े ने यह फैसला लिया है। इस घटनाक्रम ने न केवल किन्नर समाज और अखाड़ों के बीच तनाव को जन्म दिया है,बल्कि यह भी सवाल उठाया है कि एक व्यक्ति को धार्मिक संस्थाओं में शामिल करने के लिए उसके अतीत को किस हद तक देखा जाना चाहिए।
इस विवाद ने समाज के विभिन्न हिस्सों में चर्चाएँ शुरू कर दी हैं,खासकर उन लोगों के बीच जो धार्मिक परंपराओं और सामाजिक आस्थाओं के आधार पर किसी व्यक्ति की भूमिका और कर्तव्यों का मूल्यांकन करते हैं। यह भी सवाल उठता है कि क्या एक व्यक्ति के अतीत को लेकर ऐसे बड़े निर्णय लिए जाने चाहिए,खासकर जब वह सार्वजनिक जीवन में अपनी भूमिका निभा रहा हो।
इस पूरे मामले ने भारतीय समाज और धार्मिक संस्थाओं के प्रति लोगों की राय को प्रभावित किया है और इसके बारे में आगे और चर्चा होने की संभावना है।