नई दिल्ली,8 जनवरी (युआईटीवी)- डॉ. वी. नारायणन को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का अगला अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग का सचिव नियुक्त किया गया है। यह घोषणा मंगलवार को एक आधिकारिक बयान में की गई। वी. नारायणन 14 जनवरी से इसरो के मौजूदा प्रमुख एस. सोमनाथ का स्थान लेंगे। उनकी नियुक्ति इसरो के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है,क्योंकि वे भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक और विशेषज्ञ माने जाते हैं।
डॉ. वी. नारायणन वर्तमान में केरल के वलियामाला में स्थित लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर (एलपीएससी) के निदेशक के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने इस पद पर रहते हुए कई महत्वपूर्ण कार्यों को अंजाम दिया है। उनके पास भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में लगभग चार दशकों का अनुभव है और उन्होंने इसरो के विभिन्न महत्वपूर्ण अभियानों में अहम भूमिका निभाई है। विशेष रूप से,वे रॉकेट और स्पेसक्राफ्ट प्रोपल्शन के विशेषज्ञ माने जाते हैं और उनका योगदान अंतरिक्ष अभियानों में तकनीकी उत्कृष्टता के लिए सराहनीय रहा है।
नारायणन की नियुक्ति मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति द्वारा की गई है और यह आदेश कहा गया है कि वह अगले दो वर्षों तक या अगले आदेश तक इन पदों पर कार्य करेंगे। मंत्रालय के आदेश के अनुसार, वह 14 जनवरी 2025 से इसरो के अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग के सचिव के रूप में कार्यभार संभालेंगे। उनका यह कार्यकाल भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए नई दिशा और गति प्रदान करने की उम्मीद करता है।
इसरो में अपने करियर की शुरुआत 1984 में करने वाले वी. नारायणन ने विभिन्न पदों पर कार्य किया है और इसरो के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनके मार्गदर्शन में लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर ने कई सफलता प्राप्त की है और वे पीएमसी-एसटीएस (प्रोजेक्ट मैनेजमेंट काउंसिल-स्पेस ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम) के अध्यक्ष भी हैं। पीएमसी-एसटीएस इसरो के सभी लॉन्च वाहन परियोजनाओं और कार्यक्रमों में निर्णय लेने वाली महत्वपूर्ण संस्था है। इसके अलावा,वे भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन ‘गगनयान’ के लिए राष्ट्रीय स्तर के मानव रेटेड प्रमाणन बोर्ड (एचआरसीबी) के अध्यक्ष भी हैं।
लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर (एलपीएससी),जो इसरो का एक प्रमुख केंद्र है, उपग्रहों के लिए रासायनिक और इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम,लॉन्च वाहनों के लिए नियंत्रण प्रणाली और अंतरिक्ष प्रणालियों की निगरानी के लिए ट्रांसड्यूसर विकास में लगा हुआ है। एलपीएससी के प्रमुख के रूप में नारायणन ने कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं को सफलतापूर्वक पूरा किया और भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया। उनका नेतृत्व इसरो के लिए बेहद महत्वपूर्ण रहेगा,क्योंकि यह केंद्र भारतीय अंतरिक्ष मिशनों में तकनीकी उत्कृष्टता का एक प्रमुख आधार है।
नारायणन के करियर की शुरुआत विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) में हुई थी, जहाँ उन्होंने साउंडिंग रॉकेट और संवर्धित उपग्रह प्रक्षेपण यान (एएसएलवी) और ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) के ठोस प्रोपल्शन क्षेत्र में काम किया। इसके बाद उन्होंने एब्लेटिव नोजल सिस्टम,कम्पोजिट मोटर केस और कम्पोजिट इग्नाइटर केस की प्रक्रिया नियोजन,प्रक्रिया नियंत्रण और प्राप्ति में योगदान दिया। उनके इन योगदानों के कारण भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में प्रौद्योगिकी और विकास में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया।
नारायणन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा तमिल माध्यम के स्कूलों से प्राप्त की थी और इसके बाद उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी),खड़गपुर से क्रायोजेनिक इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री (एम.टेक) की। यहाँ उन्होंने पहले स्थान पर रहते हुए रजत पदक प्राप्त किया। इसके बाद उन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी की,जिससे उनकी वैज्ञानिक योग्यता और विशेषज्ञता में और वृद्धि हुई।
इसरो में अपने योगदान के दौरान,नारायणन ने भारतीय अंतरिक्ष मिशनों में रॉकेट और स्पेसक्राफ्ट प्रोपल्शन के क्षेत्र में कई नई तकनीकों और प्रक्रियाओं का विकास किया। उनकी विशेषज्ञता और अनुभव ने इसरो के मिशनों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद की।
वर्तमान में इसरो के अध्यक्ष एस.सोमनाथ ने जनवरी 2022 में इस पद को संभाला था। उनके नेतृत्व में इसरो ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ प्राप्त की,जिनमें भारत का चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में रोवर उतारने वाला पहला देश बनना और चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बनना शामिल है। यह उनके नेतृत्व का ही परिणाम था कि भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में एक नया मुकाम हासिल किया। अब, नारायणन के नेतृत्व में इसरो के आगामी मिशन और अंतरिक्ष कार्यक्रमों की दिशा तय होगी,जो भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के विकास को और तेज करेगा।
वी. नारायणन की नियुक्ति भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के लिए एक नई दिशा और उन्नति का संकेत है। उनके नेतृत्व में,इसरो को और भी महान ऊँचाइयों पर पहुँचने की उम्मीद है और उनका योगदान भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान में अनमोल रहेगा। उनकी नियुक्ति से भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में नए अवसर और चुनौतियाँ उत्पन्न होंगी और इसके परिणामस्वरूप भारत की अंतरिक्ष शक्ति और मजबूती में भी वृद्धि होगी।