एयर इंडिया एक्सप्रेस

एयर इंडिया एक्सप्रेस ने डीजीसीए की फटकार के बाद मानी गलती,ए320 इंजन पुर्जों में चूक को स्वीकारा,सुधारात्मक कार्रवाई शुरू

नई दिल्ली,5 जुलाई (युआईटीवी)- भारत के विमानन क्षेत्र में एक और बड़ी चूक सामने आई है,जिसने देश की एविएशन सुरक्षा और निगरानी व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। भारत के नागरिक उड्डयन नियामक नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने एयर इंडिया एक्सप्रेस को कड़ी फटकार लगाई है, जिसके बाद एयरलाइन को एयरबस A320 विमान के इंजन में पुर्जे बदलने में हुई चूक को स्वीकार करना पड़ा।

यह चूक उस समय उजागर हुई जब डीजीसीए ने अक्टूबर 2024 में नियमित निरीक्षण (ऑडिट) के दौरान एयरलाइन के मेंटेनेंस रिकॉर्ड और एयरक्राफ्ट इंजीनियरिंग सिस्टम की जाँच की। इस जाँच में सामने आया कि एयर इंडिया एक्सप्रेस ने एक विशेष विमान में यूरोपियन यूनियन एविएशन सेफ्टी एजेंसी (ईएएसए) द्वारा मई 2023 में जारी किए गए एयरवर्थनेस डायरेक्टिव (एडी) का पालन समय-सीमा के भीतर नहीं किया।

एयर इंडिया एक्सप्रेस ने इस चूक को स्वीकार करते हुए कहा कि ईएएसए के एयरवर्थनेस डायरेक्टिव दो इंजनों पर लागू थे। एक इंजन में तो निर्देश के मुताबिक समय पर पुर्जे बदले गए,लेकिन दूसरे इंजन में आवश्यक संशोधन छूट गया।

एयरलाइन ने बताया कि यह गलती उसके मॉनिटरिंग सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म पर रिकॉर्ड माइग्रेशन समस्या के कारण हुई। तकनीकी टीम को दूसरे इंजन के लिए स्वचालित ट्रिगर अलर्ट नहीं मिला,जिससे आवश्यक परिवर्तन से चूक हुई। हालाँकि, कंपनी ने दावा किया कि जैसे ही इस त्रुटि की पहचान हुई,उन्होंने तुरंत इंजन के पुर्जे बदल दिए और अनुपालन पूरा कर लिया।

इस मामले पर डीजीसीए ने जो आंतरिक गोपनीय मेमो जारी किया,उसमें कहा गया है कि एयरलाइन ने अनिवार्य समय सीमा में इंजन के पुर्जे नहीं बदले और गलत अनुपालन रिपोर्ट दर्शाते हुए अपने मेंटेनेंस रिकॉर्ड में संभावित हेरफेर किया।

डीजीसीए ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि एयर इंडिया एक्सप्रेस के एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस एंड इंजीनियरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम (एएमओएस) में डेटा ट्रैकिंग और रिकॉर्डिंग में संभावित छेड़छाड़ की गई है। यह एक गंभीर नियामकीय उल्लंघन है, जो एविएशन सुरक्षा के मूल सिद्धांतों पर सीधा असर डालता है।

एयर इंडिया एक्सप्रेस ने अपने बयान में कहा कि उन्होंने डीजीसीए के समक्ष त्रुटि को स्वीकार किया है और तुरंत प्रभाव से सुधारात्मक कार्रवाई और निवारक उपाय लागू कर दिए हैं। एयरलाइन ने यह भी बताया कि जिम्मेदार कर्मचारियों के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई शुरू की गई है।

एयरलाइन का दावा है कि वह अब अपने मेंटेनेंस और कंप्लायंस प्रोटोकॉल को और अधिक पारदर्शी और सटीक बनाने के लिए अपने सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म्स को अपडेट कर रही है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने डीजीसीए से वादा किया है कि आगे से इस तरह की त्रुटियाँ नहीं होंगी।

यह पूरी घटना तब सामने आई है,जब कुछ सप्ताह पहले ही जून 2025 में एयर इंडिया के एक ड्रीमलाइनर विमान की अहमदाबाद में भयावह दुर्घटना हो चुकी है, जिसमें 242 यात्रियों में से 241 की मौत हो गई थी। इस हादसे को भारत की एक दशक में सबसे बड़ी विमानन आपदा माना जा रहा है।

उस दुर्घटना की जाँच में भी कई तकनीकी और मानवीय लापरवाहियों की बात सामने आ चुकी है। ऐसे में एयर इंडिया एक्सप्रेस में भी सुरक्षा संबंधी खामी का उजागर होना,पूरे एयर इंडिया ग्रुप के लिए एक बड़ी चेतावनी है।

यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है,जब एयर इंडिया एक्सप्रेस वर्तमान में एआईएक्स कनेक्ट (पूर्व में एयरएशिया इंडिया) के साथ विलय की प्रक्रिया से गुजर रही है। एयरलाइन अपने बेड़े का विस्तार कर रही है और इंटरनल सिस्टम को एकीकृत कर रही है। ऐसे में इस तरह की त्रुटियाँ,भविष्य के लिए संभावित जोखिम का संकेत देती हैं।

हालाँकि,एयरलाइन ने दोहराया है कि वह सुरक्षा और नियामक अनुपालन के उच्चतम मानकों के लिए प्रतिबद्ध है और अपनी आंतरिक प्रक्रिया में व्यापक सुधार कर रही है।

डीजीसीए की ओर से यह सख्त कार्रवाई बताती है कि नियामक एजेंसी अब किसी भी स्तर की लापरवाही को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है। खासतौर पर जब देश के एविएशन क्षेत्र में यात्री विश्वास और सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण मूल्य हैं।

सूत्रों के अनुसार, डीजीसीए इस तरह की घटनाओं पर स्थायी निगरानी तंत्र और सख्त दंडात्मक कार्रवाई की दिशा में आगे बढ़ रहा है,जिससे कि भारत की उड़ान सुरक्षा का स्तर विश्व मानकों पर खरा उतर सके।

एयर इंडिया एक्सप्रेस द्वारा गलती को स्वीकार करना एक पेशेवर कदम है,लेकिन इससे यह भी स्पष्ट होता है कि तकनीकी खामी और रिकॉर्डिंग सिस्टम की कमजोरी से कितनी बड़ी जोखिमें पैदा हो सकती हैं।

एक ऐसे समय में जब भारत का एविएशन सेक्टर दुनिया में तेजी से आगे बढ़ रहा है, इस तरह की घटनाएँ न केवल यात्रियों का भरोसा डगमगाती हैं,बल्कि भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा को भी प्रभावित कर सकती हैं।

अब ज़रूरत है न केवल सुधारात्मक,बल्कि संरचनात्मक बदलावों की,जिससे भारत की विमानन प्रणाली एक बार फिर सुरक्षा और भरोसे की मिसाल बन सके।