पटना में उद्योगपति गोपाल खेमका की हत्या से सनसनी (तस्वीर क्रेडिट@advJayram)

पटना में उद्योगपति गोपाल खेमका की हत्या से सनसनी,पुलिस की लापरवाही पर उठे सवाल,राजनीतिक हलकों में भी गूँज

पटना,5 जुलाई (युआईटीवी)- बिहार की राजधानी पटना में शुक्रवार देर रात घटित एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे शहर को स्तब्ध कर दिया। जाने-माने व्यवसायी और समाजसेवी गोपाल खेमका की गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह वारदात गांधी मैदान थाना क्षेत्र के अत्यंत व्यस्त और सुरक्षित माने जाने वाले रामगुलाम चौक के पास हुई, जहाँ से थाने की दूरी महज 600 मीटर है। इस समीपता के बावजूद पुलिस की देर से प्रतिक्रिया ने लोगों को न केवल आक्रोशित किया,बल्कि कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल भी खड़े कर दिए।

घटना रात करीब 11:30 बजे की बताई जा रही है,जब गोपाल खेमका अपनी कार से अपने अपार्टमेंट लौट रहे थे। जैसे ही उन्होंने बिल्डिंग के गेट पर हॉर्न बजाया,वैसे ही उन पर फायरिंग कर दी गई। बिल्डिंग के गार्ड राम पारस के अनुसार,वह गेट खोलने पहुँचे ही थे कि गोली चलने की आवाज सुनाई दी। गेट खोलते ही उन्होंने देखा कि खेमका की मौके पर ही मौत हो चुकी थी।

बिल्डिंग परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं और एफएसएल टीम ने मौके से दो खाली कारतूस बरामद किए हैं। पुलिस ने घटनास्थल की घेराबंदी तो की,लेकिन मौके पर उनकी देर से पहुँचने और प्राथमिक कार्रवाई में ढिलाई पर गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं।

गोपाल खेमका के भाई शंकर खेमका ने स्पष्ट रूप से पुलिस पर निष्क्रियता का आरोप लगाते हुए कहा कि परिवार को खुद पुलिस को बताना पड़ा कि कहाँ गोली चली है और कहाँ खोखा गिरा है। उनका कहना था कि रात 1:30 बजे तक पुलिस मौके पर नहीं पहुँची और जब पहुँची भी,तो ऐसा लग रहा था जैसे वे तमाशा देखने आए हों।

उनका यह भी कहना था कि गोपाल खेमका की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी। वह एक बेहद अनुशासित और सामाजिक व्यक्ति थे,जो रोज़ सुबह 10 बजे कार्यालय जाते थे और देर रात लौटते थे। ऐसे व्यक्ति की हत्या से समाज में भय और असुरक्षा का माहौल पैदा हो गया है।

इस हत्याकांड ने राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है। भाजपा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव ने खेमका परिवार से मुलाकात के बाद गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि एक ही परिवार के पिता और पुत्र की हत्या छह साल में हो जाना मात्र संयोग नहीं,बल्कि यह बिहार की गिरती कानून व्यवस्था का संकेत है।

रामकृपाल यादव ने माँग की कि सरकार इस मामले को गंभीरता से ले,अपराधियों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए और स्पीडी ट्रायल कराते हुए सख्त सजा दी जाए। उन्होंने कहा, “अगर अपराधी शहर के बीचों-बीच इस तरह से हत्या कर सकते हैं और पुलिस घंटों तक कार्रवाई नहीं कर पाती,तो यह प्रशासन के लिए एक जागने का संकेत है। अब वक्त आ गया है कि अपराधियों को ऐसा कड़ा संदेश दिया जाए,जिससे भविष्य में कोई भी इस तरह की दुस्साहसिक हरकत करने की हिम्मत न कर सके।”

पटना पुलिस के टाउन डीएसपी-2 प्रकाश ने बताया कि मामले की गंभीरता से जाँच की जा रही है। घटनास्थल के पास लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज का गहन विश्लेषण हो रहा है और फॉरेंसिक साक्ष्यों को भी इकट्ठा किया जा रहा है।

हालाँकि,अब तक कोई ठोस सुराग हाथ नहीं लगा है,लेकिन पुलिस का दावा है कि जल्द ही अपराधियों की पहचान कर ली जाएगी। मगर जिस प्रकार की लापरवाही शुरू में दिखाई दी,उससे लोगों का भरोसा डगमगाया हुआ है।

गोपाल खेमका एक प्रतिष्ठित व्यापारी और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जाने जाते थे। उनकी हत्या से पटना के व्यवसायिक समुदाय में भी गहरा आक्रोश है। व्यापारिक संगठनों ने इसे कानून व्यवस्था की नाकामी बताते हुए जल्द न्याय की माँग की है।

कई संगठनों ने पटना में बंद और शांति मार्च की चेतावनी दी है,यदि आरोपियों को जल्द नहीं पकड़ा गया। समाज के विभिन्न वर्गों ने भी इस हत्या को सुनियोजित करार दिया है।

गोपाल खेमका की हत्या सिर्फ एक व्यक्ति की मृत्यु नहीं है,यह बिहार की राजधानी के केंद्र में स्थित एक सुस्त और निष्क्रिय व्यवस्था का आईना है। जिस प्रकार एक व्यस्त इलाके में इतने पास के थाना क्षेत्र में यह वारदात हुई और पुलिस की प्रतिक्रिया इतनी धीमी रही,वह कई सवाल खड़े करती है।

अब देखने की बात होगी कि प्रशासन इस घटना को एक चेतावनी के रूप में लेता है या इसे भी अन्य आपराधिक मामलों की तरह फाइलों में दबा दिया जाएगा।

बिहार सरकार और पुलिस के सामने यह मौका है कि वे तेजी से कार्रवाई करके जनता का खोया विश्वास दोबारा अर्जित करें और यह साबित करें कि कानून और व्यवस्था केवल दस्तावेजों में नहीं,ज़मीन पर भी लागू होती है।