एक्सिओम-4 मिशन स्थगित (तस्वीर क्रेडिट@BoleBharatHindi)

एक्सिओम-4 मिशन स्थगित: भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा को झटका

नई दिल्ली,11 जून (युआईटीवी)- भारत की अंतरिक्ष यात्रा में ऐतिहासिक क्षण के रूप में देखा जा रहा एक्सिओम-4 मिशन एक बार फिर से स्थगित कर दिया गया है। यह मिशन विशेष रूप से इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके तहत भारतीय अंतरिक्षयात्री शुभांशु शुक्ला को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) भेजा जाना था। इस मिशन की लॉन्चिंग 11 जून 2025 को निर्धारित की गई थी,लेकिन लॉन्च से पहले तकनीकी खराबी के चलते इसे अनिश्चितकाल के लिए टाल दिया गया है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 10 जून को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर जानकारी साझा करते हुए कहा कि “फाल्कन 9 रॉकेट के लॉन्च से पूर्व परीक्षण के दौरान तकनीकी गड़बड़ी पाई गई है।” स्पेसएक्स और एक्सिओम मिशन टीम के साथ मिलकर इस गड़बड़ी की पहचान की गई और उसके सुधार के लिए मिशन को स्थगित करने का निर्णय लिया गया।

इसरो के अनुसार,फाल्कन 9 लॉन्च वाहन के बूस्टर चरण में 7 सेकंड का हॉट टेस्ट किया गया,जिसमें पता चला कि प्रोपल्शन बे में लिक्विड ऑक्सीजन (एलओएक्स ) का रिसाव हो रहा है। यह तकनीकी समस्या रॉकेट की सुरक्षा और मिशन की सफलता के लिहाज से बेहद संवेदनशील मानी जाती है। ऐसे में यह निर्णय लिया गया कि जब तक रिसाव को पूरी तरह ठीक कर सत्यापित नहीं किया जाता,तब तक मिशन को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा।

स्पेसएक्स (स्पेसएक्स) ने भी इस खबर की पुष्टि करते हुए कहा कि तकनीकी खराबी के चलते एक्सिओम-4 मिशन को फिलहाल स्थगित किया गया है और नई लॉन्च तिथि की घोषणा बाद में की जाएगी। यह पहली बार नहीं है कि इस मिशन को टाला गया हो। इससे पहले यह मिशन 29 मई 2025 को लॉन्च होने वाला था,लेकिन तकनीकी कारणों से उसे टाल दिया गया। फिर 10 जून को नई तिथि तय हुई और अब एक बार फिर से 11 जून को प्रस्तावित लॉन्च रद्द कर दिया गया है।

शुभांशु शुक्ला का इस मिशन में चयन होना भारत के लिए गर्व का क्षण है। वह 1984 में राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बनने जा रहे हैं। राकेश शर्मा ने सोवियत मिशन “सोयूज टी-11” में हिस्सा लिया था। लगभग चार दशकों बाद भारत का कोई नागरिक फिर से अंतरिक्ष की यात्रा पर निकलने को तैयार है।

शुक्ला का यह मिशन केवल एक वैयक्तिक उपलब्धि नहीं है,बल्कि भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान एवं वैश्विक अंतरिक्ष साझेदारी की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर लगभग दो सप्ताह का समय बिताना था,जहाँ वे वैज्ञानिक प्रयोगों और अनुसंधान गतिविधियों में हिस्सा लेने वाले थे।

भारत सरकार ने इस मिशन में भागीदारी के लिए 550 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है। यह निवेश भारत की निजी और अंतर्राष्ट्रीय स्पेस एजेंसियों के साथ बढ़ती साझेदारी को दर्शाता है। एक्सिओम स्पेस,जो कि नासा और स्पेसएक्स के साथ मिलकर मानव मिशन संचालित करती है,भारत के इस मिशन में एक प्रमुख भागीदार है।

इस मिशन की सफलता भारत को भविष्य में स्पेस टूरिज्म,कमर्शियल स्पेस मिशन और इसरो -प्राइवेट सहयोग मॉडल में नई ऊँचाइयों पर ले जाने में सहायक होगी। यह मिशन भारत के अंतरिक्ष अभियान को वैश्विक मंच पर और अधिक सशक्त बनाने वाला था।

फाल्कन 9 रॉकेट में एलओएक्स रिसाव की घटना बताती है कि अंतरिक्ष मिशन कितने जटिल और संवेदनशील होते हैं। भले ही लॉन्च से कुछ ही समय पूर्व यह निर्णय लिया गया हो,लेकिन यह फैसला मानव जीवन की सुरक्षा और मिशन की सफलता को प्राथमिकता देने वाला है। यह घटना यह भी दर्शाती है कि इसरो और स्पेसएक्स जैसे संगठन सतर्कता और पारदर्शिता के साथ कार्य कर रहे हैं।

हालाँकि,एक्सिओम-4 मिशन का स्थगित होना भारतीय अंतरिक्ष प्रेमियों और शुभांशु शुक्ला के समर्थकों के लिए एक अस्थायी निराशा का कारण है,लेकिन यह ध्यान रखना आवश्यक है कि अंतरिक्ष यात्रा में सावधानी और तकनीकी सटीकता सर्वोपरि होती है। मिशन को स्थगित करना एक सही और जिम्मेदार निर्णय है।

शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा भले कुछ समय के लिए टल गई हो,लेकिन इससे उनके सपनों और भारत के अंतरिक्ष भविष्य की उड़ान पर कोई असर नहीं पड़ेगा। भारत अब भी अंतरिक्ष की नई ऊँचाइयों को छूने की तैयारी में है,बस रफ्तार थोड़ी धीमी हुई है,लेकिन दिशा बिल्कुल सही है।