कर्नाटक उच्च न्यायालय

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने ऑनलाइन गेमिंग को प्रतिबंधित करने संबंधी कानून को रद्द किया

बेंगलुरू, 14 फरवरी (युआईटीवी/आईएएनएस)- कर्नाटक उच्च न्यायालय ने ऑनलाइन गेमिंग को प्रतिबंधित करने वाले कर्नाटक पुलिस (संशोधन) अधिनियम ,2021 के प्रावधानों को सोमवार को रद्द कर दिया।

मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी और न्यायमूर्ति एस दीक्षित की डिवीजन बेंच ने यह आदेश दिया है। बेंच ने अपने आदेश में कहा कि ‘कर्नाटक अधिनियम संख्या 28/2021 के प्रावधानों, (संपूर्ण अधिनियम नहीं) को भारत के संविधान के तहत ‘अल्ट्रा वायर्स ‘घोषित किया गया है। इसमें कहा गया है कि कानून के कुछ प्रावधान अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर बनाए गए थे और इसी वजह से इन्हें रद्द किया जाता है।

पीठ ने यह भी कहा कि वह जुए के खिलाफ संविधान के अनुरूप नया कानून लाए जाने वाले विधायिका के निर्णय के बीच में नहीं आएगी। इस मामले में प्रतिवादियों को ऑनलाइन गेमिंग व्यवसाय में हस्तक्षेप करने से रोकने के लिए परमादेश की एक रिट जारी की जाती है।

सत्तारूढ़ भाजपा ने मानसून सत्र में कर्नाटक पुलिस अधिनियम 1963 में संशोधन करने के लिए कर्नाटक पुलिस (संशोधन) विधेयक, 2021 को पेश किया था। भाजपा नेताओं ने दावा किया कि लोगों के हित में ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध लगाने के लिए विधेयक पेश किया गया है।

इस कानून में घुड़दौड़ को छोड़कर किसी भी खेल के संबंध में दांव लगाने या सट्टेबाजी के सभी प्रकार शामिल थे। हालांकि, ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों ने नए कानून का विरोध करते हुए कहा था कि यह नीति ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों के केंद्र के रूप में उभर रहे शहर के भविष्य को प्रभावित करेगी।

नए अधिनियम ने राज्य में सभी प्रकार के ऑनलाइन गेम के सभी प्रारूपों पर प्रतिबंध लगा दिया था जिसमें सट्टेबाजी और सभी प्रकार के जुए शामिल हैं। नए कानून के तहत, ऑनलाइन गेमिंग को गैर-जमानती अपराध माना गया था जिसमें 1 लाख रुपये का जुर्माना और तीन साल तक की कैद थी। कौशल के खेल पर प्रतिबंध लगाने के साथ-साथ, सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक साधनों और आभासी मुद्रा का उपयोग करते हुए ऑनलाइन गेम को जुए के रूप में वर्गीकृत किया था।

यह नया कानून कर्नाटक विधानसभा के दोनों सदनों द्वारा मानसून सत्र में पारित किया गया था। इसके बाद मोबाइल प्रीमियर लीग (एमपीएल) कर्नाटक में अपने परिचालन को रोकने वाली पहली कंपनियों में से एक थी। पेटीएम फस्र्ट गेम्स पर भी इसके बाद रोक लगा दी गई थी।

ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों ने नए कानून पर सवाल उठाते हुए अदालत का रुख किया। इसी तरह के कानून को तमिलनाडु में भी चुनौती दी गई थी और उच्च न्यायालय के आदेश से ऑनलाइन गेमिंग ऑपरेटरों को सरकारी आदेश के खिलाफ राहत मिली है ।

इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) ने कहा था कि सरकार के नए कानून से स्टार्टअप हब के रूप में कर्नाटक की छवि खराब होगी और सरकारी खजाने को भारी घाटा होगा। इसने यह भी कहा था कि नए कानून से चोरी छिपे जुआ कारोबारी फले-फूलेंगे।

सूत्रों का कहना है कि राज्य में 100 से ज्यादा गेमिंग कंपनियां हैं, जिनमें 4,000 कर्मचारी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *