पहलगाम आतंकी हमले में शामिल आतंकियों में 5 आतंकियों की हुई पहचान (तस्वीर क्रेडिट@JournalistPRIN3)

पहलगाम आतंकी हमले में शामिल आतंकियों में 5 आतंकियों की हुई पहचान, 3 पाकिस्तानी और 2 कश्मीरी शामिल

श्रीनगर,24 अप्रैल (युआईटीवी)- जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद जाँच एजेंसियों को बड़ी कामयाबी मिली है। हमले में शामिल पाँच आतंकियों की पहचान कर ली गई है,जिनमें से तीन पाकिस्तानी नागरिक हैं,जबकि दो स्थानीय आतंकवादी घाटी के ही रहने वाले हैं। हमले के बाद केंद्र और राज्य स्तर की सुरक्षा एजेंसियों ने आतंकियों को पकड़ने के लिए व्यापक तलाशी अभियान शुरू कर दिया है।

जाँच एजेंसियों ने जिन तीन पाकिस्तानी आतंकियों की पहचान की है,उनके नाम आसिफ फौजी (उपनाम मूसा),सुलेमान शाह (उपनाम यूनुस) और अबू तल्हा (उपनाम आसिफ) हैं। इनमें से आसिफ फौजी और सुलेमान शाह पहले से ही जम्मू-कश्मीर में सक्रिय थे और पूर्व में पुंछ सहित कई आतंकी हमलों में शामिल रह चुके हैं। यह स्पष्ट संकेत है कि ये आतंकी लंबे समय से घाटी में मौजूद थे और भारतीय सुरक्षा तंत्र को निशाना बनाने के लिए मौके की तलाश में थे।

इसके अलावा,दो कश्मीरी मूल के आतंकियों की पहचान अदिल गुरी और अहसन के रूप में हुई है। अदिल गुरी,अनंतनाग के बिजबेहरा का स्थानीय निवासी है,जबकि अहसन पुलवामा का निवासी है।

दोनों साल 2018 में पाकिस्तान गए थे और वहाँ वर्षों तक आतंकी प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद हाल ही में भारत में घुसपैठ कर लौटे। इससे यह जाहिर होता है कि सीमा पार से आतंकवाद को बढ़ावा देने की नीति अभी भी पाकिस्तान के कुछ तत्वों द्वारा सक्रिय रूप से अपनाई जा रही है।

जाँच में यह बात सामने आई है कि आतंकियों ने हमले के दौरान विशेष रूप से पुरुषों को उनकी धार्मिक पहचान दिखाने को कहा,जिससे स्पष्ट होता है कि इस हमले के पीछे न केवल आतंक फैलाने की,बल्कि सांप्रदायिक उकसावे की भी गहरी मंशा थी।

इसके अलावा,एक आतंकी की पहचान मूसा के रूप में हुई है,जो मई 2024 में हुए पूंछ हमले में भी शामिल था। यह वही आतंकी है जिसे एक प्रमुख ऑपरेशनल मास्टरमाइंड के रूप में देखा जा रहा है।

हमले की जाँच अब राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) के हाथ में है। एनआईए की एक टीम श्रीनगर में तैनात की गई है और इसका नेतृत्व इंस्पेक्टर जनरल विजय सखारे कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस भी इस जाँच में एनआईए की सहायक एजेंसी के रूप में सहयोग कर रही है।

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने तीन संदिग्ध आतंकियों के स्केच जारी किए हैं और इनकी जानकारी देने वालों को प्रत्येक पर 20 लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की है। यह पहल नागरिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए उठाई गई है,ताकि आतंकी जल्द-से-जल्द पकड़ में आ सकें।

जाँच एजेंसियों की नजर अब लश्कर-ए-तैयबा के शीर्ष नेताओं में शामिल हाफिज सईद के सहयोगी सैफुल्लाह कसूरी पर है। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में कसूरी को यह कहते हुए सुना गया है कि “कश्मीर 2 फरवरी 2026 तक पवित्र भूमि बनेगा” और “मुजाहिदीन अपने हमले तेज करेंगे”। यह बयान आतंकवादी इरादों को खुलकर उजागर करता है और एजेंसियों को विश्वास है कि कसूरी की सीधी भूमिका इस हमले में हो सकती है।

पहलगाम हमले ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद अभी भी एक गंभीर खतरा बना हुआ है। भारत की जाँच एजेंसियाँ इस हमले के पीछे छिपे हर चेहरे को बेनकाब करने के लिए सतर्कता से काम कर रही हैं। आतंकी हमलों के दोषियों को कानून के कठघरे में लाने और ऐसी घटनाओं को भविष्य में रोकने के लिए भारत सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस पॉलिसी’ अब और भी सख्ती से लागू की जा रही है।