लश्कर बोनालू समारोह

तेलंगाना : लश्कर बोनालू समारोह में हजारों लोग हुए शामिल

हैदराबाद, 30 जुलाई (युआईटीवी/आईएएनएस)- यहां सिकंदराबाद के उज्जैनी महाकाली मंदिर में लश्कर बोनालू समारोह में हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। यह वार्षिक उत्सव पारंपरिक उल्लास के साथ मनाया गया।

भक्त, विशेष रूप से महिलाएं, सिकंदराबाद के ऐतिहासिक मंदिर और अन्य महाकाली मंदिरों में सुबह से ही देवी श्री महाकाली को पका चावल, गुड़, दही और नीम के पत्तों से युक्त ‘बोनम’ चढ़ाने के लिए कतारबद्ध थीं।

राज्य के विभिन्न हिस्सों से लोग कोविड-19 प्रोटोकॉल के साथ मनाए जा रहे पारंपरिक त्योहार में भाग लेने के लिए आए, जिससे क्षेत्र में उत्सव का माहौल बना रहा।

पशुपालन मंत्री टी. श्रीनिवास यादव ने परिवार के सदस्यों के साथ राज्य सरकार की ओर से देवी को पहला ‘बोनम’ और रेशमी कपड़े भेंट किए। बंदोबस्ती मंत्री ए. इंद्रकरण रेड्डी ने भी पूजा-अर्चना की।

मंत्रियों ने कहा कि उन्होंने कोविड-19 महामारी के शीघ्र अंत और लोगों के कल्याण और समृद्धि की कामना की।

यादव ने कहा कि सरकार ने बोनालू उत्सव के सुचारु संचालन के लिए सभी प्रबंध किए हैं। उन्होंने लोगों से समारोह में भाग लेने के दौरान सभी कोविड-19 सावधानियों का पालन करने की अपील की।

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की पत्नी शोभा ने परिवार के सदस्यों के साथ मंदिर का दौरा किया और ‘बोनम’ और रेशमी वस्त्र भेंट किए। उनके साथ राज्यसभा सांसद जे. संतोष कुमार भी थे।

हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, श्रम मंत्री मल्ला रेड्डी, तेलंगाना कांग्रेस प्रमुख रेवंत रेड्डी और फिल्म निर्माता दिल राजू प्रार्थना करने वाली प्रमुख हस्तियों में शामिल थे।

केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री जी. किशन रेड्डी, जो सिकंदराबाद से लोकसभा सदस्य हैं, ने बोनालू के अवसर पर लोगों को बधाई दी।

दर्शन के दौरान श्रद्धालुओं की सुगम आवाजाही के लिए पुलिस ने पुख्ता इंतजाम किए। श्रद्धालुओं की सुगम आवाजाही के लिए सिकंदराबाद में कई स्थानों पर वाहनों के यातायात को डायवर्ट किया गया। सुरक्षा के व्यापक इंतजाम के तहत अतिरिक्त पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया था।

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सीसीटीवी कैमरों के जरिए उत्सव की निगरानी कर रहे थे। ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) और अन्य नागरिक विभागों ने भक्तों के लिए आवश्यक व्यवस्था की।

दर्शन और बोनम चढ़ाने का सिलसिला सोमवार तड़के तक चलेगा। उत्सव का समापन सोमवार को प्रसिद्ध ‘रंगम’ के साथ होगा, जहां राज्य के भविष्य के बारे में भविष्यवाणियां एक अविवाहित महिला द्वारा की जाएगी, जिसके बाद घाटम जुलूस निकाला जाएगा।

इसके बाद देवता के चित्र को ले जाने वाले एक सजे-धजे हाथी का जुलूस निकाला जाएगा। हल्दी और सिंदूर से सराबोर पोथरजस जुलूस में लयबद्ध ढोल की थाप पर लोग नृत्य करते हैं। यह विभिन्न क्षेत्रों से होकर गुजरेगा।

सिकंदराबाद में बोनालू या लश्कर बोनालू लगभग महीने भर चलने वाले पारंपरिक त्योहार का दूसरा चरण है।

11 जुलाई को यहां गोलकुंडा किले के जगदंबिका मंदिर में पारंपरिक लोक उत्सव की शुरुआत हुई।

बोनालू के दौरान सार्वजनिक कार्यक्रम पिछले साल राज्य सरकार द्वारा कोविड-19 महामारी को देखते हुए रद्द कर दिए गए थे। हालांकि, पिछले महीने कोविड-19 संबंधित प्रतिबंध हटाने के साथ, सरकार ने इस बार लोगों की भागीदारी की अनुमति दी।

इस वर्ष, सामूहिक समारोहों और पारंपरिक जुलूस के साथ उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। आयोजकों को मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग सहित कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है।

बोनालू हिंदू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ के महीने में आयोजित एक त्योहार है, जिसमें देवी महाकाली की पूजा होती है।

भक्त, विशेष रूप से महिलाएं, सजाए गए बर्तनों में देवी महाकाली को भोजन के रूप में प्रसाद चढ़ाती हैं। लगभग एक महीने तक चलने वाले त्योहार के दौरान, लोग ‘रंगम’ भी रखते हैं या भविष्य की भविष्यवाणी करते हैं, जुलूस और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करते हैं।

2014 में तेलंगाना के गठन के बाद, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) ने बोनालू को राज्य उत्सव घोषित किया था। उत्सव कलाकारों द्वारा प्रदर्शन के साथ तेलंगाना की संस्कृति को दर्शाते हैं।

इस साल, सरकार ने समारोह के लिए 15 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। उत्सव के लिए मंदिरों को सजाने और भक्तों के लिए सभी आवश्यक व्यवस्था करने काफी खर्च किया गया।

हैदराबाद में हर साल तीन रविवार को बोनालू को अलग-अलग जगहों पर भव्य तरीके से मनाया जाता है। लाल दरवाजा में श्री सिंहवाहिनी महाकाली मंदिर और हैदराबाद के पुराने शहर हरिबावली में श्री अक्कन्ना मदन्ना महाकाली मंदिर में उत्सव 1 अगस्त को होगा।

आमतौर पर यह माना जाता है कि यह त्यौहार पहली बार 150 साल पहले एक बड़े हैजा के प्रकोप के बाद मनाया गया था। लोगों का मानना था कि महाकाली के क्रोध के कारण महामारी आई थी और उन्हें शांत करने के लिए बोनालू अर्पित किया जाने लगा।

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