New York: Indian Americans celebrate Diwali at the South Street Seaport in New York,

अमेरिका में भारतीय मूल के लोग हिंदू धर्म की पहचान को बरकरार रखने पर दे रहे जोर

वाशिंगटन, 28 दिसंबर (युआईटीवी/आईएएनएस)| अमेरिका में भारतीय मूल के लोग अपने हिंदू धर्म की पहचान को मजबूती के साथ बरकरार रखना चाहते हैं। यह इस साल यानी 2022 में सबसे अधिक देखने को मिला है।

भारतीय स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में यूएस कैपिटल में आयोजित एक कार्यक्रम को आयोजकों और उपस्थित लोगों ने जय श्री राम का जाप कर एक हिंदू धर्म के उत्सव में बदल दिया। यहां शराब नहीं परोसी गई थी।

एक अलग कार्यक्रम में न्यू जर्सी में भारतीय अमेरिकियों के एक अलग समूह ने एक परेड में बुलडोजर चलाया, जो भारत में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के प्रतीक के रूप में आजकल उभरा है।

इस पर मुसलमानों, अफ्रीकी अमेरिकियों और नागरिक अधिकार समूहों ने प्रतिक्रिया जारी की है। इन्होंने आयोजकों की जांच के लिए अमेरिकी अधिकारियों से कहा है, जिसमें ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ बीजेपी भी शामिल है।

ये हाल 2022 में भारतीय प्रवासियों की महत्वपूर्ण उपस्थिति के साथ अन्य देशों में भी देखा गया।

सितंबर में यूके में लीसेस्टर की सड़कों पर जय श्री राम का जाप करते हुए भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिकों ने मार्च निकाला, जिससे ब्रिटिश अधिकारी और मीडिया बेहद चिंतित हो गए।

दूसरे देशों में रह रहे कुछ हिंदू-अमेरिकी दशकों से चुपचाप अपनी आस्था और सांस्कृतिक साज-सज्जा का प्रचार कर रहे हैं।

उदाहरण के लिए, विश्व हिंदू परिषद अमेरिका की स्थापना 1970 में उन महान सार्वभौमिक और शाश्वत मूल्यों को बढ़ावा देने और अभ्यास करने के लिए की गई थी, जिन्हें भारत के संतों द्वारा खोजा और अभ्यास किया गया था।

लेकिन इस सब ने उदार हिंदुओं के मन में ठेस पहुंचाई है। उपस्थित लोगों में से एक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, मैं अमेरिकी कांग्रेस के इस कार्यक्रम में हिंदू दावे के प्रदर्शन से स्तब्ध था।

उपस्थित लोगों ने जय श्री राम का नारा लगाते हुए समूहों में तस्वीरें खिंचवाईं। इस दौरान अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य पहुंचे, भारत के बारे में बात की और सहयोगियों के साथ चले गए। भारत माता की जय के नारे भी लगाए गए, जो भारतीय स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर उपयुक्त हो सकते थे।

भारतीय अमेरिकियों के एक अन्य समूह ने 2022 में कैपिटल में दो कार्यक्रमों की मेजबानी की, जिसमें भारतीय अमेरिकी से नाम बदलकर हिंदू अमेरिकी के रूप में पहचान बनाने की इच्छा जताई। समुदाय लंबे समय से वकालत कर रहा है, लेकिन अब तक असफल रहा है।

एक कार्यक्रम की मेजबानी प्रमुख भारतीय अमेरिकियों के एक समूह ने की, जिन्होंने कहा कि वे भारत सरकार द्वारा यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की कड़ी आलोचना करने से इनकार करने से निराश थे और, उन्होंने आगे तर्क दिया कि वे भारत सरकार की प्रतिक्रिया से पैदा हुए विपरीत असर को झेलना नहीं चाहते।

ये घटनाएं अमेरिकी राजनीति में एक राजनीतिक ताकत के रूप में भारतीय अमेरिकियों के बजाय हिंदू अमेरिकियों को पेश करने की इच्छा से भी प्रेरित थीं, जिसे अमेरिकी सांसदों को सीधे संदेश देने के लिए यूएस कैपिटल में मेजबानी के लिए आयोजकों द्वारा एक कारण के रूप में उद्धृत किया गया था।

अमेरिका में भारतीय प्रवासी कुछ समय से इस नाम परिवर्तन पर बहस कर रहे हैं, समुदाय के सदस्यों के बीच जो डेमोकेट्रिक और रिपब्लिकन दोनों पार्टियों को वोट और समर्थन देते हैं।

भारत में जन्मे अप्रवासी अपने मूल देश के साथ एक मजबूत संबंध महसूस करते रहे, लेकिन भारतीय अमेरिकियों की दूसरी पीढ़ी अपनी विरासत के इस राजनीतिक हिस्से के प्रति कम प्रतिबद्ध महसूस करती है। उन्हें लगता है कि वे अमेरिकी हैं, अपने माता-पिता, रिश्तेदारों के विपरीत अमेरिका में पैदा और पले-बढ़े हैं।

डायस्पोरा में हिंदुओं के लिए हिंदू अमेरिकन नाम अधिक मायने रखता है। लेकिन यह कोई ऐसी बहस नहीं है जो जल्द सुलझ जाएगी।

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